- मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने घोषणा की
- इस बार1.55 करोड़ मतदाता डालेंगे वोट
- प्रचार के दौरान भाषाई संयम बरतने की अपील
नई दिल्ली | चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा कर दी। आयोग के अनुसार, दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए एक ही चरण में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। मतों की गिनती तीसरे दिन 8 फरवरी को होगी। चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव के दौरान शिष्टाचार का ध्यान रखें। महिलाओं के खिलाफ गलत भाषा का उपयोग न हो। चुनाव प्रचार में भी भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना होगा।
58 सीट सामान्य और 12 सीट एससी के लिए आरक्षित
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। 70 सीटों में 58 सामान्य जबकि 12 एससी के लिए आरक्षित है। चुनाव में 1.55 करोड़ मतदाता वोट डालेंगे। इसमें 83.49 लाख पुरुष, 71.74 लाख महिला, 25.89 लाख युवा मतदाता हैं। पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 2.08 लाख है। 100 साल से ऊपर के मतदाताओं की संख्या 830 और ट्रांसजेंडर मतदाता करीब 1,261 हैं।
एक महीने में 1,67,329 नए मतदाता जाेड़े गए
चुनाव आयोग के अनुसार, दिल्ली में एक महीने में करीब 1,67,329 नए मतदाता जोड़े गए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि बुजुर्गों और दिव्यांदजनों को घर बैठे वोटिंग की सुविधा मिलेगी। 85 साल से ऊपर और दिव्यांगजनों को पोलिंग बूथ आने की जरूरत नहीं है। अगर ऐसे लोगे वोटिंग करने आते हैं तो उनके लिए पोलिंग बूथ पर मौजूद वॉलंटियर्स उनकी मदद करेंगे।
अरविंद केजरीवाल ने कैंपेन सॉन्ग जारी किया
आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का कैंपेन सॉन्ग जारी किया। 3:29 मिनट का यह सॉन्ग ‘फिर लाएंगे केजरीवाल’ आप के कार्यकाल के दौरान उसकी उपलब्धियों को दर्शाता है।
अब तक 7 बार विधानसभा चुनाव हुए, ब्रह्मप्रकाश थे पहले सीएम
दिल्ली में 1993 से लेकर अब तक 7 विधानसभा चुनाव हुए हैं। पहला चुनाव 27 मार्च 1952 को हुआ था। कुल 48 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। ब्रह्म प्रकाश 12 फरवरी 1955 तक मुख्यमंत्री रहे। उनके बाद दरियागंज से विधायक गुरुमुख निहाल सिंह मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद केन्द्र सरकार ने 1 अक्टूबर 1956 को दिल्ली विधानसभा समाप्त कर दी। 1956 से 1993 तक दिल्ली पर केन्द्र सरकार का सीधा नियंत्रण रहा।
बालकृष्ण कमेटी की सिफारिशों पर दिल्ली को विधानसभा मिली
बालकृष्ण कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए केन्द्र सरकार ने मई 1990 में संसद में एक बिल पेश किया। इसके बाद वर्ष 1991 में दिल्ली को राज्य का दर्जा मिला, लेकिन पूर्ण राज्य अब तक नहीं बन पाया है।
