- गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर एजुकेशन ने मनाया 39वां राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
- विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाने के थीम पर हुआ कार्यक्रम
बेगूसराय | अगर विज्ञान नहीं होता तो शायद आज भी हम गुफाओं में होते। विज्ञान का अर्थ है खोजने की ललक। लोगों को विज्ञान के चमत्कार को नहीं बल्कि इसकी जरूरत बतानी है। दुनिया रोज बदल रही है। इस कारण हमें प्रतिदिन अपडेट रहना होगा। ये बातें गंगा ग्लोबल बीएड कॉलेज के प्रोफेसर परवेज युसूफ ने 39वें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर कही। रमजानपुर स्थित गंगा ग्लोबल बीएड कॉलेज में शुक्रवार को ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’ थीम पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन प्राचार्य डॉ. नीरज कुमार, प्रो. सुधाकर पांडेय, प्रो. परवेज़ यूसुफ़, डॉ. अंजली, प्रो. अमर कुमार, प्रो. विपिन कुमार, डॉ. कामायनी कुमारी, डॉ . अनीथा एस, डाॅ. अविनाश कुमार, प्रो. कुंदन कुमार तथा डॉ. राजवंत सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
विज्ञान की समझ विकसित करने की जरूरत : डॉ. नीरज
डॉ. नीरज कुमार ने डॉ. सीवी रमन को याद करते हुए कहा कि आज नवाचार के रूप में एआइ हमारे सामने है। हमारे पास ज्ञान की कमी नहीं है। जरूरत है विज्ञान की समझ विकसित करने की। कार्यक्रम संयोजक डॉ. अंजली ने कहा कि विज्ञान का उपयोग हमारे लिए वरदान है। इसका सकारात्मक प्रयोग आवश्यक है। प्रो. विपिन कुमार ने कहा कि विज्ञान को जीने की जरूरत है। शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुसंधान के बाद ही विकास संभव है। कार्यक्रम को डॉ. अनीथा एस ने भी संबोधित किया।

प्रशिक्षुओं ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया
कार्यक्रम के दौरान प्रिया कुमारी और आरती कुमारी ने विज्ञान पर आधारित पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया। सूरज कुमार, प्रीति कुमारी, गौरव कुमार, मीसा कुमारी, आरती कुमारी, मेघना कुमारी और रुचि कुमारी ने विज्ञान के प्रयोग का प्रदर्शन किया। वहीं अदिति कुमारी, शुभम कुमारी, पूजा कुमारी, शिवम कुमार, रूपेश कुमार, नवीन कुमार ने विज्ञान पर आधारित कविता एवं गायन प्रस्तुत किया।
डाॅ. सीवी रमन के विचारों ने इन लोगों ने व्यक्त किया
अपने भाषण में गौरव कुमार, राधेश्याम कुमार, मीसा कुमारी, शिवशंकर कुमार, नवीन कुमार ने डॉ. सीवी रमन के विचारों को व्यक्त किया। मंच संचालन सौरभ कुमार और प्रीति कुमारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुधाकर पांडेय ने किया।
