- ‘शिक्षा, मोबाइल और सपना’ नाटक के साथ समर कैंप सह रंग कार्यशाला सम्पन्न
बेगूसराय | अभिभावक को चाहिए कि बच्चों को सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल करें क्योंकि मोबाइल के कारण बच्चों की संवेदनाएं भावविहीन हो रही हैं। पढ़ाई के साथ संगीत, नृत्य और रंगमंच के जुड़ाव से उनका भविष्य भी उज्जवल होगा। ये बातें नृत्यगुरु आचार्य सुदामा गोस्वामी ने दिनकर कला भवन परिसर में 8 दिवसीय समर कैंप सह रंग कार्यशाला के समापन अवसर पर कहीं। समर कैंप सह रंग कार्यशाला का आयोजन माॅडर्न थिएटर फाॅउण्डेशन (MTF) की ओर से किया गया था। इससे पहले समापन समारोह का उद्घाटन कत्थक नृत्याचार्य सुदामा गोस्वामी, बच्चों के अविभावक विनोद कुमार, सबिता कुमारी, अमित कुमार, पुनिता कुमारी तथा कैंप डायरेक्टर सह प्रशिक्षक परवेज यूसुफ ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
तकनीकी कौशल व क्रिएटिव एक्टिविटी बच्चों को मंजिल तक पहुंचाएगा : Mobile के कारण बच्चों की संवेदनाएं भावविहीन हो रहींकैंप डायरेक्टर सह प्रशिक्षक परवेज यूसुफ ने कहा कि वर्तमान समय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ तकनीकी कौशल व क्रिएटिव एक्टिविटी बच्चों और युवाओं को उनके मंजिल तक पहुंचाएगा। कार्यशाला के संबंध में कहा कि हमारा शरीर और हमारी आवाज हमारे लिए टूल्स की तरह हैं जिसे अभ्यास के द्वारा निखार कर प्रभावशाली बनाया जाता है।
नाट्य कार्यशाला में इन लोगों ने दी सहभागिता : कार्यशाला समापन के अवसर पर प्रतिभागियों ने नाटक- शिक्षा, मोबाइल और सपना का प्रदर्शन किया। नाटक में आदित्य कुमार, आयुष राज, सौरभ कुमार, नीतीश कुमार, राहुल कुमार, कृष्ण कुमार, दीपा कुमारी, अलीशा, गौस परवेज समीर, राज कुमार, आशीष कुमार एवं नवीन कुमार ने सराहनीय भूमिका निभाई। नाटक में विद्यालय और महाविद्यालय के 12 बच्चे और युवा शामिल थे।
नाटक का संदेश : शिक्षा व्यक्ति को सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता देती है। शिक्षा का उद्देश्य जीवन को संवारना है न कि केवल अंक प्राप्त करना है। पढ़ाई जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी है शरीर, मन और कला का संतुलन, जो ज़िंदगी को सार्थक बनाता है। मोबाइल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन उसका संतुलित उपयोग ही हमें मानसिक, सामाजिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकता है।
