- मटिहानी में इंडिपेंडेंट कंडिडेट भी भारी मतों से जीतते रहे हैं
- साल 2005 में बोगो सिंह दो बार निर्दलीय जीत चुके हैं
बेगूसराय जिला परिषद की अध्यक्ष रह चुकी इंद्रा देवी 2025 में मटिहानी क्षेत्र से बिहार विधानसभा पहुंचने का रास्ता तलाश रही हैं। वह जिले में लोजपा (रा.) की प्रमुख नेत्री मानी जाती हैं, लेकिन मार्ग आसान नहीं है। जानकारों का मानना है कि लोजपा से टिकट पाने के लिए उन्हें नाको चने चबाने होंगे। सामान्य स्थिति होती तो पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान ही नहीं पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान से उनके परिवार के पुराने संबंधों को देखते हुए हर कोई कह सकता था कि टिकट पक्का है, लेकिन बीते चुनाव में लोजपा (रा.) के टिकट पर चुनाव जीतने वाले राजकुमार सिंह पाला बदल कर जदयू का दामन थाम चुके हैं। चूंकि जदयू व लोजपा (रा.) दोनों ही NDA का हिस्सा है। इस कारण जदयू सीटिंग-गेटिंग फार्मूला के तहत टिकट पाने को लेकर आश्वस्त है और उसने तैयारी भी शुरू कर दी है।
राजकुमार का टिकट पक्का, लेकिन लोजपा भी अड़ी
जदयू की चुनावी बैठक में भाजपा नेताओं की भागीदारी से भी तस्वीर साफ हो जाती है कि टिकट सीटिंग विधायक राजकुमार सिंह को मिलना तय हो चुका है, लेकिन लोजपा सीटिंग-गेटिंग फार्मूले को सिरे से खारिज कर रही है। लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान भी मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ता सम्मेलन में यह चुके हैं कि 2020 में पूरे बिहार में मटिहानी विधानसभा क्षेत्र ही ऐसा था जहां लोजपा चुनाव जीती थी। हम अपनी जीती हुई सीट को छोड़ नहीं सकते हैं। हर हाल में यहां से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने इशारे-इशारे में इंद्रा देवी के नाम पर मुहर भी लगा दी थी। तब से इंद्रा देवी व उनके पति बालमुकुंद सिंह ही नहीं पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता भी चप्पे-चप्पे को छानने में लगे हैं। उन्हें भरोसा है कि चिराग पासवान मटिहानी सीट से कभी समझौता नहीं करेंगे।
सवाल : टिकट नहीं मिलने पर क्या करेंगी इंद्रा
मटिहानी विधानसभा क्षेत्र में इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहा है कि लोजपा का सिम्बल नहीं मिलने पर इंद्रा क्या करेंगी। उनके करीबियों की मानें तो इंद्रा देवी निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। हालांकि अंतिम समय तक वह पार्टी के फैसले का इंतजार करेंगी। इसके लिए तैयारी पूरी कर चुकी हैं। ऐसे समय में समर्थकों का उन पर चुनाव लड़ने के लिए दबाव पड़ेगा और पीछे हटना मुश्किल होगा।

बोगो सिंह दो बार जीत चुके हैं निर्दलीय चुनाव
मटिहानी विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह 2005 के फरवरी व अक्टूबर में हुए चुनाव में निर्दलीय जीत कर ही विधानसभा पहुंचे थे। इंद्रा देवी के समर्थक भी उन्हें यही कह रहे कि पार्टी टिकट नहीं देती है तो आप निर्दलीय चुनाव लड़िए। 2011-16 तक जिला परिषद अध्यक्ष रही इंद्रा देवी जिले के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से 2020 में निर्दलीय चुनाव लड़ी थी। 9704 वोट मिले थे जबकि उनका गृह क्षेत्र मटिहानी है। दीगर बात यह कि उनके जेठ (भैंसुर) ने बछवाड़ा में ही 2010 के विधानसभा चुनाव में 21685 वोट लाकर CPI के अवधेश राय को कड़ी टक्कर दी थी। श्री सिंह BJP के बागी प्रत्याशी थे। भाजपा की अधिकृत प्रत्याशी वंदना सिंह 15241 वोट के साथ चौथे नंबर पर थीं। जबकि वंदना सिंह के ससुर तत्कालीन सांसद डॉ. भोला प्रसाद सिंह ने क्षेत्र के चप्पे-चप्पे को छान मारा था। ठीक वैसी ही स्थिति मटिहानी में इंद्रा देवी को टिकट नहीं मिलने पर पैदा की जा रही है। सेंटीमेंट उभर गया तो कुछ भी हो सकता है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।

जानिए, क्यों बदला-बदला सा है समीकरण
बीते चुनाव का परिदृश्य 2025 में पूरी तरह बदल गया है। राजकुमार सिंह ने वर्ष 2020 में चुनाव जीतने के बाद छह माह बाद ही जदयू का दामन थाम लिया था। बावजूद इसके जदयू के प्रत्याशी रहे नरेंद्र कुमार सिंह उर्फ बोगो सिंह धैर्य के साथ अगस्त 2025 तक पार्टी में बने रहे, जनता की सेवा करते रहे। जदयू ने जब उनकी उपेक्षा की तो अब राजद का दामन थाम लिया। उनके राजद में शामिल होते ही क्षेत्र का सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गया है।
पिछले दो चुनावों का गुणा-भाग
साल 2015 में बोगो सिंह महागठबंधन (जदयू+राजद) के प्रत्याशी थे। तब उन्हें 89297 तथा निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सर्वेश कुमार को 66609 मत मिले थे। CPI की शोभा देवी को महज 11232 वोट से संतोष करना पड़ा था। बात 2020 के चुनाव की करें तो लोजपा के राजकुमार सिंह को 61364, जदयू के बोगो सिंह को 61031 तथा महागठबंधन से CPM उम्मीदवार राजेन्द्र सिंह को 60599 मत मिले थे।

जनसुराज भी कलेजा धकधकाएगा
जन सुराज से प्रत्याशी के नाम की घोषणा अभी बाकी है। हालांकि जन सुराज से डॉ. रंजन कुमार चौधरी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। पार्टी उन पर कितना भरोसा करती है यह तो भविष्य ही बताएगा।
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