बेगूसराय | तेघड़ा प्रखंड के रघुनन्दपुर गांव में शुक्रवार को साहित्यकार डॉ. सच्चिदानंद पाठक की काव्य पुस्तक ‘भावाभिव्यन्जनाएं’ का लोकार्पण हुआ। लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि इस पुस्तक के अध्ययन से धड़कन और बेचैनी को महसूस कर सकते हैं। वर्तमान समय में जब मनुष्यता पर संकट है तो ऐसे वक्त में यह पुस्तक, आदमी को इंसानियत हेतु प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा कि जीवन का संपूर्ण विस्तार, कवि की कविताओं में महसूस होता है। उन्होंने श्री पाठक से संस्कृत शोध पत्र पर पुस्तक लिखने व प्रकाशित करने का अनुरोध किया।
साहित्यकार द्वारिका राय ‘सुबोध’ ने कहा कि यह पुस्तक धर्म, दर्शन, रीति-रिवाज, सामाजिक-जीवन के निष्पक्ष दृष्टिकोण से रूबरू कराती है। मुख्य अतिथि अशान्त भोला ने कहा कि सच्चिदानंद पाठक की कवितां अभिधार्थ हैं, सीधे पाठकों तक संप्रेषित हो जाती हैं।

विशिष्ट अतिथि डाॅ. शैलेन्द्र शर्मा त्यागी ने कहा कि पाठक जी की कविताओं में परम्परा और प्रगति का, प्राचीनता व आधुनिकता का सुखद मेल है। समस्तीपुर से आए साहित्यकार नकी खान ने कहा कि कवि की हास्य-व्यंग्य की रचनाएं एक ओर जहां गुदगुदाती हैं वहीं दूसरी ओर सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार भी करती है।

लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार चांद मुसाफिर ने जबकि संचालन प्रफुल्ल चन्द्र मिश्र व राहुल शिवाय ने किया। इससे पूर्व मंचासीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। पंडित अनंत लाल झा ने मंगलाचरण पाठ किया। कल्याणी मिश्रा व नव्या मिश्रा ने स्वागत गान की प्रस्तुति दी। कवयित्री मिथलेश कुमारी ने जय जय भैरवी की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में साहित्यकार रमा मौसम, दुखित महतो, अरुण मालपुरी, डाॅ. एसएन झा, ललन लालित्य, शेखर सावंत, प्रवीण प्रियदर्शी, रंजू ज्योति, सुनीता झा, संजीव फिरोज, नरेन्द्र कुमार सिंह, कुलानन्द पाठक, ताराकांत पाठक, चिन्मय आनंद, वागीश आनंद, हरिकान्त चौधरी आिद उपस्थित थे। लोकार्पण समारोह के उपरांत कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ।











