- मॉक ड्रिल टीम ने 15 मिनट में पाया काबू
- 11.38 बजे पहली बार सायरन बजा
बेगूसराय | Barauni Refinery की पेट्रोल की गुणवत्ता जांच वाली नेफ्था यूनिट में बुधवार सुबह करीब 11.29 बजे भीषण आग लग गई। आग लगने से अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस दौरान करीब 11.30 बजे पहली बार लेवल-1 (भीषण आग) का सायरन बजाया गया। अग्निशमन विभाग ने आग बुझाने की कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली। इसके बाद 11.44 बजे लेवल-2 (ऑनसाइट) आपदा सायरन बजाया गया। इस पर इमरजेंसी डिजास्टर रिस्पॉन्स मैनेजमेंट टीम ने बिना देर किए आग पर काबू पा लिया। इस घटना में किसी के जान-माल की क्षति नहीं हुई।
इस संबंध में कॉर्पोरेट संचार अधिकारी अर्पिता पटेल ने बताया कि यह बरौनी रिफाइनरी में तीसरी तिमाही मॉक ड्रिल था। मॉक ड्रिल के बाद आपातकालीन नियंत्रण केंद्र में डीब्रीफिंग सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता कार्यकारी निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख सत्य प्रकाश ने की। इस सत्र में ड्रिल के दौरान देखी गई बातों, अनुभवों और कमियों पर विस्तृत में चर्चा की गई। इसका उद्देश्य वास्तविक आपातकाल के दौरान तैयारी को मजबूत करने और उत्तरदायित्व को बेहतर बनाने पर केन्द्रित था।

कारपोरेट संचार अधिकारी ने बताया घटनाक्रम
कारपोरेट संचार अधिकारी अर्पिता पटेल ने बताया कि बरौनी रिफाइनरी ने पीएनजीआरबी (पेट्रोलियम और नेचुरल गैस रेगुलेटरी बोर्ड) और दूसरी कानूनी अथॉरिटीज के दिशा-निर्देशों के हिसाब से तीसरी तिमाही के लिए अपनी ऑनसाइट डिजास्टर मॉक ड्रिल की। ड्रिल के लिए MSQ की NHDT यूनिट को चुना गया। इसमें 801-E-03A शेल आउटलेट फ्लैंज से लीक था और इसी कारण आग लगी। मॉक ड्रिल 11.29 बजे शुरू हुई। आग पर काबू पाता नहीं देख साइट दुर्घटना समन्वयक एस. श्रीधर, उप महाप्रबंधक (उत्पादन) ने मुख्य दुर्घटना नियंत्रक(CIC) को मामले से अवगत कराया। आपदा समन्वयक तथा कार्यकारी निदेशक एवं रिफाइनरी प्रमुख सत्य प्रकाश से सलाह के बाद CIC ने ऑनसाइट आपात घोषित कर दिया। इसके बाद इमरजेंसी डिजास्टर रिस्पॉन्स मैनेजमेंट टीम ने तुरंत कार्रवाई की और बिना किसी जान-माल नुकसान के स्थिति को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया। NTPC बरौनी और HURL, बरौनी के म्यूचुअल एंड पार्टनर्स के फायर टेंडर्स ने भी ड्रिल में हिस्सा लिया।
जानिए, क्या होती है NHDT यूनिट
इसे Naphtha Hydro Treating Unit और हिंदी में नेफ्था जल-उपचार इकाई कहते हैं। इसका मुख्य काम नेफ्था (कच्चे पेट्रोलियम का एक हिस्सा) से सल्फर और नाइट्रोजन जैसी अशुद्धियों को हाइड्रोजन (H2) के साथ प्रतिक्रिया कराके निकालना होता है। ताकि इसे उच्च गुणवत्ता वाले गैसोलीन या अन्य पेट्रोकेमिकल उत्पादों में इस्तेमाल किया जा सके।










