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रामानुज शर्मा ने सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ को कविताओं का विषय बनाया

 जनपद के लब्धप्रतिष्ठ कवि रामानुज शर्मा की स्मृति में सर्वोदयनगर में प्रलेस, जलेस, जसम और नागरिक संवाद समिति की ओर से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।

बेगूसराय | जनपद के लब्धप्रतिष्ठ कवि रामानुज शर्मा की स्मृति में सर्वोदयनगर में प्रलेस, जलेस, जसम और नागरिक संवाद समिति की ओर से श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। अध्यक्षता प्रो. सीताराम प्रभंजन, नवलकिशोर सिंह, विजय कुमार सिन्हा, डॉ. चंद्रशेखर चौरसिया के अध्यक्ष मंडल ने की। इस अवसर पर जनपद के शताधिक साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों, बुद्धिजीवियों, परिवारजनों, राजनीतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कवि शर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की।

श्रद्धांजलि सभा में जनवादी लेखक संघ के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि रामानुज शर्मा जनांदोलन के कवि थे। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक यथार्थ को स्पष्ट रूप से अपनी कविताओं का विषय बनाया। जसम के राज्य सचिव दीपक सिन्हा ने कहा कि रामानुज शर्मा न सिर्फ साहित्यकार थे अपितु वे एक्टिविस्ट भी थे। उन्होंने अपने कई काव्य संग्रहों का प्रकाशन करवाया, जिनमें ‘भींगे पल’, ‘छोटा आइना-बड़ा मुआयना’, ‘गांधी की लाठी’, ‘गार्डेन ऑफ पोएम’ इत्यादि प्रमुख हैं। उनका एक गद्य ‘पंच दृष्टि’, दस दृष्टि’ भी प्रकाशित है।

रामानुज शर्मा जनता के कवि थे
प्रलेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र राजन ने कहा कि रामानुज शर्मा जनता के कवि थे। जनपक्षधर मूल्यों की हिफाजत करने के लिए उन्होंने कभी भी समझौता नहीं किया। भाकपा माले के जिला सचिव दिवाकर कुमार ने उनके राजनीतिक जीवन को याद करते हुए कहा कि राजनीतिक सवाल पर 1968 में उन्हें जेल जाना पड़ा थ। वे 1966 से 1968 तक सोशलिस्ट पार्टी, 1969 से 1972 तक भाकपा तथा बाद में नई धारा आइपीएफ के जिला सचिव रहे, किंतु उन्होंने कभी भी जनपक्षधर राजनीतिक मूल्यों से समझौता नहीं किया।
कविता को किताबों से निकाल कर पंफलेट का स्वरूप प्रदान किया
प्रो. सीताराम सिंह ‘प्रभंजन’ ने कहा कि उन्होंने कविता को किताबों से निकाल कर पंफलेट का स्वरूप प्रदान किया। वे स्वयं पंफलेट पर समसामयिक मुद्दों पर रचना कर लोगों के बीच बांटते थे। रामानुज शर्मा के कनिष्ठ पुत्र डॉक्टर कमलेश शर्मा ने भी पिता को याद करते हुए कहा कि उनकी अप्रकाशित रचनाओं को किताब की शक्ल में शीघ्र प्रकाशित करवाया जाएगा। संस्कृतिकर्मी कुंवर कन्हैया ने श्रद्धांजलि के रूप में गीत गाया।
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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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