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दिल पर दिखी अधूरे रिश्ते की गहरी छाप

टाउन हाल, बेगूसराय में द प्लेयर्स एक्ट की ओर से आयोजित राष्ट्रीय महोत्सव के अंतिम दिन आषाढ़ का एक दिन नाटक की प्रस्तुति दी गई।
  • ’द प्लेयर्स एक्ट की ओर से राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव का आयोजन
  • अंतिम दिन दर्शकों से भरा रहा दिनकर कला भवन

बेगूसराय | ‘आषाढ़ का एक दिन’ लिखा तो मोहन राकेश ने है, लेकिन बेगूसराय के टाउन हॉल में मंगलवार को जब इसका मंचन हो रहा था तो दर्शकों ने कालिदास और मालिनी के बीच के रिश्तों को बखूबी महसूस किया। दाे घंटे से अधिक समयावधि वाले इस नाटक की प्रस्तुति न्यू एज थिएटर के कलाकारों ने अंकिता कुमारी के निर्देशन में दी। रंग संस्था ’द प्लेयर्स एक्ट’ द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से दिनकर कला भवन, बेगूसराय में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग उत्सव 2025 के पांचवें और अंतिम दिन दर्शकों ने बखूबी साथ दिया। मोहन राकेश की यह कृति महाकवि कालिदास के व्यक्तिगत जीवन, उनकी रचनात्मकता और उनकी प्रेमिका मल्लिका के निःस्वार्थ प्रेम के जटिल संघर्षों पर आधारित है। उनके काव्यों की नायिका हमेशा मल्लिका ही रही। यह प्रसिद्ध कवि कालिदास के जीवन का किस्सा है।

निर्देशक ने नाटक में हास्य को भी जोड़ा
प्रस्तुत नाटक में कालिदास और मल्लिका के साथ ‘विलोम’ भी एक पात्र है जिसे हम नाटक का खलनायक कह सकते हैं। यह कालिदास से भी अधिक विकसित पात्र है। नाटक में मल्लिका की मां अंबिका और कालिदास का मामा मातुल है। ये दोनों नाटक के दो तरुण पात्रों के अभिभावक हैं। दोनों ही अपने-अपने बच्चों से निराश हैं फिर भी दोनों एक-दूसरे से विपरीत हैं। यह उनके स्वभाव, व्यवहार, बोलचाल, भाषा, संस्कारों मे दिखाई देता है। ऐसी ही विरुपता मल्लिका और प्रियंगुमंजिरी के बीच में दिखाई देती है। इसी तरह रंगिणी व संगिनी और अनुस्वार व अनुनासिक इन दो जोड़ियां द्वारा नाटक में हास्य रंग जोड़ा गया है।

समय का असर और रिश्तों में बदलाव
समय, धीरे धीरे भावनाओं, उम्मीदों और रिश्तों को बदल देता है। वर्षों बाद बाद जब कालिदास और मालिनी मिलते हैं तो दोनों को अहसास होता है कि उनके गहरे रिश्ते अब सिर्फ एक याद भर हैं। इस बदलाव को जिस सरलता से दिखाया गया है वही इस नाटक को और भी वास्तविक बनाता है। समय का असर हर पाठक को अपने जीवन की किसी न किसी घटना की याद दिला देता है।

मानवीय संवेदनाएं और भावनात्मक संघर्ष
नाटक का हर पात्र अपने भीतर एक शांत संघर्ष लिए चलता है। नाटक दिखाता है कि भीतर का संघर्ष ही इंसान को गहराई देता है। यही भावनाएं पाठक को नाटक के बहुत करीब ले आती हैं, क्योंकि हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में ऐसे संघर्षों को जीता है।

दो रंगकर्मियों को किया गया सम्मानित
द प्लेयर्स एक्ट की ओर से दो वरिष्ठ रंग कर्मियों को प्रतिष्ठित भारतेंदु राष्ट्रीय रंग सम्मान एवं विनय चन्द्र वर्मा राष्ट्रीय कला सम्मान दिया गया। सम्मानित होने वाले रंगकर्मियों को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र, प्रतीक चिन्ह, प्रशस्ति पत्र और 11 हजार की सम्मान राशि दी गई। पूरे आयोजन और कार्यक्रम का मंच संचालन युवा कवि व रंगकर्मी दीपक कुमार ने किया।

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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