- पहली कांवड़ यात्रा की शुरुआत वर्ष 2022 में हुई थी
- बिहार और झारखंड के प्रवासी लोग सनातनी परंपरा निभा रहे
हिंदू धर्म सनातन काल से चला आ रहा है और इसकी जड़ें दुनियाभर में फैली हुई हैं। संस्कृति और परंपराओं का निर्वहन करने का मतलब खुद को जड़ (जन्मभूमि) से जोड़े रखना है। इस सावन में जापान में ऐसा ही कुछ देखने काे मिल रहा है। जापान की धरती पर भी भारतीय संस्कृति का परचम लहरा रहा है। प्रवासी भारतीयों के बीच अपनी जड़ों से जुड़े रहने और परंपराओं को जीवंत बनाए रखने का प्रयास वर्षों से हो रहा है। उसी प्रयास का एक जीवंत उदाहरण है कांवड़ यात्रा। इसे बिहार-झारखंड के प्रवासी लोग पिछले चार वर्षों से न केवल सहेज रहे हैं, बल्कि उसे और भव्यता प्रदान कर रहे हैं।