- जी डी कॉलेज में कथा सम्राट प्रेमचंद एवं विख्यात आलोचक नामवर सिंह की जयंती मनायी
बेगूसराय। कथा सम्राट प्रेमचंद की 144वीं जयंती एवं विख्यात आलोचक नामवर सिंह की जयंती का संयुक्त आयोजन गणेशदत्त महाविद्यालय में बुधवार को किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. एस.के. पाण्डेय ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद कालजयी उपन्यासकार थे। उनकी कहानियों में आमलोगों की आवाज शामिल है । वहीं अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष जिकरुल्लाह खान ने कहा कि समाज में बदलते अर्थ तंत्र और शहरीकरण के शुरुआती प्रभावों को देखना हो तो हमें प्रेमचंद के साहित्य की ओर रुख करना होगा।
प्रेमचंद के साहित्य में प्रतिरोध का स्वर दिखाई पड़ता है : डॉ. अभिषेक कुंदन
हिन्दी विभाग के प्राध्यापक डॉ. अभिषेक कुंदन ने कहा प्रेमचंद के साहित्य में प्रतिरोध का स्वर दिखाई पड़ता है। साहित्य लेखन की दो कसौटी सच्चाई की प्रकटीकरण व अनुभूति की सच्चाई होती है । कथासम्राट के समग्र कथा में जो नायक है वह समाज के वंचित वर्ग के लोग हैं । उन्होंने हिंदी साहित्य के महान आलोचक और अपने गुरुवर नामवर सिंह जी को याद करते हुए उनसे जुड़े बेहद रोचक किस्सों को साझा किया।
प्रेमचंद की कथा में समाज का यथार्थ झलकता है :डॉ अरमान आनंद
कार्यक्रम में डॉ अरमान आनंद ने नशा कहानी की चर्चा करते हुए कहा कि वर्चस्ववाद आंगिक, कायिक और वाचिक तीनों होता है। मनुष्य इससे बचते हुए भी कई बार बच नहीं पाता है। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की कथा में समाज का यथार्थ झलकता है। मंदिर और सद्गति कहानी की चर्चा करते हुए जिसमें समाज में फैली कुव्यवस्था प्रहार करते हुए कहा कि जिस समाज मे मनुष्य का मूल्य एक जानवर से भी कम है उसे किस प्रकार महान कहा है
लोकोन्मुखी है प्रेमचंद का साहित्य : डॉ. श्रवसुमी कुमारी
डॉ. श्रवसुमी कुमारी ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य लोकोन्मुखी है । प्रेमचंद बहुमुखी प्रतिभा से लैस सितारे हैं। साहित्यकार के जीवन में अनेक विषमताओं आईं जिसका प्रमाण इनके साहित्य की रचना में मिलता है । प्रेमचंद की साहित्य में आदर्श व यथार्थ दोनों संगम है । रचना को शोधात्मक तरीके से पढ कर इनकी प्रासंगिकता पर विशेष ध्यान आकर्षित किया जा सकता है । विभिन्न छात्रों ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। स्नातकोत्तर के छात्र मंचन कुमार ने संबोधित करते हुए प्रेमचंद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला । किशन से उपन्यास गोदान व रंगभुमि की चर्चा करते हुए उसकी वर्तमान प्रासंगिकता व उसके पात्रों के चरित्र पर अपना विचार प्रस्तुत किया । स्नातक के छात्र गुलशन ने संबोधित करते हुए प्रेमचंद के जीवन परिचय पर चर्चा कि । मिथलेश व प्रभाष ने भी प्रेमचंद और उनकी साहित्य की प्रासंगिकता पर चर्चा की। प्रेमचंद के जीवन व साहित्य पर अपनी बात रखते हुए उनकी कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद अपनी साहित्य में सामाजिक यथार्थ का वर्णन मिलता है। सभा में उपस्थित अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित थे। मंच का संचालन करते हुए स्नातकोत्तर के छात्र नवीन ने प्रेमचंद की साहित्यिक यात्रा पर विशेष चर्चा की ।
