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आमजन की भाषा है हिंदी : प्रो राम अवधेश कुमार

बेगूसराय।  14 सितंबर 2024 को गणेश दत्त महाविद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं कविता पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राजेंद्र साह ने की। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. राम अवधेश कुमार ने कहा हिंदी की ताकत यही है कि हिंदी आमजन की भाषा है। हिंदी में विपुल और ताकतवर साहित्य का लेखन हुआ है जिसका प्रभाव लंबे समय तक भारतीय संस्कृति पर रहेगा। 23 सितम्बर को महाविद्यालय दिनकर जयन्ती का आयोजन कर रहा है। दिनकर हमारे गौरव हैं। यह पूरे जिले का कार्यक्रम है। इसमें आप सभी की चाहे छात्र हों अभिभावक या साहित्य प्रेमी, आप सभी की उपस्थिति बढ़-चढ़ कर होनी चाहिए। इस बार कार्यक्रम में विख्यात कवि अरुण कमल एवं आलोचक प्रो बहादुर मिश्र आमंत्रित हैं। आप उन्हें जरूर सुनें। मैं महाविद्यालय में सकारात्मक बदलाव के लिए कृतसंकल्पित हूं।

भारत की आत्मा है हिंदी : प्रो राजेंद्र साह

प्रो. राजेंद्र साह ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हिंदी भारत की आत्मा है। यह जन-जन की भाषा है और राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक है। हिंदी अत्यंत सरल,सुगम एवं आत्मिक भाषा है। भाषिक सहिष्णुता भी हिंदी की अपनी विशेषता है। प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता के बावजूद हिंदी अपने सहज रूप में लोकप्रियता की ओर अग्रसर है। भूमंडलीकरण तथा बाजारवाद के प्रभाव में भी हिंदी की मांग बढ़ी है क्योंकि बाजार को व्यापक जन समूह चाहिए और वह हिंदी में मौजूद है ।

अपने ही देश में उपेक्षा की शिकार है हिंदी : डॉ अभिषेक कुंदन

डॉ अभिषेक कुंदन ने कहा कि हिंदी अपने ही देश में उपेक्षा की शिकार है। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि हिंदी को जनभावना के रूप में इस्तेमाल न कर हर स्तर पर हिंदी के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता सुनिश्चित करे। हिंदी में वह सारी क्षमता है जो राष्ट्रभाषा ही नहीं वरन वैश्विक भाषा के रूप में पहचान पा सकती है क्योंकि सवाल भाषा का नहीं हमारी इच्छा शक्ति का है।

आने वाले समय में विश्व भाषा के रूप में स्थापित होगी हिंदी:डॉ श्रवसुमी कुमारी

डॉ श्रवसुमी कुमारी ने कहा विश्व पटल पर हिंदी को स्थापित करने का सपना अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन वर्तमान समय में बाजार से लेकर सिनेमा तक हिंदी की लोकप्रियता को देखते हुए कहा जा सकता है कि हिंदी एक दिन विश्व भाषा के रूप में समादृत होगी।

हिंदी की प्रकृति सर्व समावेशी : डॉ. अरमान आनंद

वहीं डॉ. अरमान आनंद ने कहा कि भाषा न सिर्फ वैचारिक सम्प्रेषण के लिए जरूरी है बल्कि मनुष्य का जीवन , संस्कृति उसके विचार सब भाषा मे ही निहित हैं। हिंदी की प्रकृति सर्व समावेशी है। बाजार के साथ हिंदी की स्वीकार्यता ने इसे नई ताकत दी है। समकालीन दौर हिंदी साहित्य का सबसे मजबूत दौर है।

स्वरचित कविता पाठ एवं भाषण प्रतियोगिता छात्रों ने लिया हिस्सा

हिंदी दिवस पर दिनकर की रचनाओं पर केंद्रित भाषण प्रतियोगिता एवं स्वरचित कविता पाठ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। स्नातकोत्तर के छात्र नवीन कुमार एवं बिट्टू कुमार ने भी हिंदी भाषा संबंधी अपने विचार व्यक्त किये। काव्य-पाठ प्रतियोगिता में मिथिलेश कुमार, प्रभाष कुमार अंजली कुमारी, मोहम्मद नफीस आजम, नीतीश कुमार, नवीन कुमार , शिवानी कुमारी, मीनू कुमारी एवं बिट्टू कुमार ने भी विभिन्न विषयों पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की।इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर रामनंदन प्रसाद ,भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ. रविकांत आनंद , प्रो जिकरुल्लाह खान, प्रो. जितेन्द्र कुमार सहित कई छात्र छात्राएं भी उपस्थित थे।

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Author: newsvistabih

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