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SEMINAR : ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए फिक्स नहीं ग्रोथ माइंड सेट की जरूरत : डॉ. चंद्रेश्वर खां

गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज बेगूसराय में ‘बिहार में ग्रामीण विकास : अवसर और चुनौतियां’ विषय पर दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।
  • गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन

बेगूसराय | देश की 80 प्रतिशत आबादी गांवों में ही रहती है। इसी कारण अगर रूरल डेवलपमेंट नहीं हुआ तो बिहार का विकास नहीं होगा। बिहार का विकास नहीं हुआ तो भारत का विकास नहीं होगा। और यदि भारत का विकास नहीं हुआ तो विश्व का विकास नहीं होगा। ये बातें टाटा मोटर्स जमशेदपुर के पूर्व सीनियर एजीएम डॉ. चंद्रेश्वर खां ने गंगा ग्लोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (GGIMS) बेगूसराय में आयोजित दो दिवसीय (22-23 नवंबर) सेमिनार के पहले दिन कहीं।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि डॉ. चंद्रेश्वर खां, दरभंगा के बेला स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार सिंह, प्रगतिशील किसान रंजीत निर्गुणी, डॉ. ऋचा सिंह, दीपक कुमार, GGIMS की प्राचार्य डाॅ. सुधा झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर सेमिनार का उद्घाटन किया। इसके पश्चात छात्रा स्वाति शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। विषय प्रवेश प्रो. अभिजित ने कराया। मंच संचालन परवेज युसूफ ने किया।

क्रिटिकल मास के कारण ही पंजाब का विकास हुआ
डॉ. चंद्रेश्वर खां ने ‘बिहार में ग्रामीण विकास : अवसर और चुनौतियां’ विषय पर अपनी बात रखते हुए बताया कि क्रिटिकल मास के कारण ही पंजाब का विकास हुआ। बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों को डेवलप करना है तो हमें समर्पित लोगों की तलाश करनी होगी। मैनेजमेंट के छात्रों से कहा कि आज कई लोग पढ़े-लिखे होते हुए भी बेरोजगार हैं जबकि गांवों में कम पढ़े लोगों के पास रोजगार है। मतलब वे खेती कर जीवनयापन कर रहे हैं। इस कारण हमें ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करना ही होगा। कहा कि जब तक किसान का आंतरिक शान नहीं बढ़ेगा तब तक देश का स्वाभिमान नहीं बढ़ेगा। हमें फिक्स नहीं ग्रोथ माइंड सेट की जरूरत है।

सेमिनार में मौजूद अतिथि और अध्यापक-छात्र।

मैनेजमेंट के छात्रों को सफलता के दिए टिप्स
डॉ. खां ने स्थानीय भाषा के शब्द ‘लूर (हुनर)’ को परिभाषित किया। लूर को उन्होंने L फाॅर Learning, U फॉर Un Learning और R फॉर Re Learning कहा।

बिना ग्राम्य विकास के विकसित भारत की कल्पना नहीं : डॉ. अजीत
इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार सिंह ने कहा कि बिना ग्राम्य विकास के भारत के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती है। शहर और नगर से दूर का इलाका ही गांव है। उन्होंने प्रकृति को सहेजते हुए विकास की कल्पना के आधार को बताया। कहा कि आज हम आर्थिक विकास को ही विकास मान लेते हैं, लेकिन वास्तविकता ऐसी नहीं है। बैलेंस डेवलपमेंट से ही विकास होगा। उन्होंने डेवलपमेंट के 15 आधार बिंदु गिनाए। उन्होंने रूरल डेवलपमेंट के क्षेत्र में पीएम मोदी के वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट के परिकल्पना को सराहा।

लोगों में इतिहास बोध का अभाव : रंजीत निर्गुणी
प्रगतिशील किसान रंजीत निर्गुणी ने ग्रामीण विकास के लिए इतिहास बोध को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि गांव शब्द सुनते ही पीपल के पेड़, चापाकल, तालाब, पगडंडियां याद आने लगती हैं। पहले 50 गांवों में कोई एक व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होता था और आज हर गांव में एक व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित मिल जाता है। हम गांव को भूलने लगे हैं। उसके आधार को खत्म करने में जुटे हैं। हमें आसपास होने वाले परिवर्तनों के साथ-साथ प्रकृति को संभाल कर रखना होगा।

खुद से कमेंट करने की बहुत जरूरत : सर्वेश कुमार
सेमिनार को संबोधित करते हुए दरभंगा स्नातक क्षेत्र के विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने कहा कि काम को बीच में नहीं छाेड़ना चाहिए। अपने आप से कमेंट करने की बहुत जरूरत है। हमें काम करने के तरीके को बदलना होगा। हम यह काम नहीं कर सकते हैं, इस अवधारणा को छोड़ना होगा।

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Author: newsvistabih

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