- राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट में वीकेंड विजन का पांचवां सत्र संपन्न
- कृषि विज्ञान पर केंद्रित था संवाद सत्र, बच्चों से नवाचार को अपनाने की अपील
बेगूसराय (बीहट) | राजकीयकृत मध्य विद्यालय बीहट में शनिवार को ‘वीकेंड विजन’ के पांचवें सत्र का आयोजन किया गया। यह सत्र कृषि विज्ञान पर केंद्रित था। इस विशेष संवाद सत्र में बेगूसराय कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रामपाल मौजूद थे। इस विशेष सत्र में मौजूद बच्चों के एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसान बनने या होने में उम्र सीमा बाधक नहीं है। मनुष्य जन्मजात किसान होता है। बताया कि हमलोग आंगन में कोई पौधा लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं ताे कुछ समय बाद वह पौधा फूल या फल देता है। यही प्रक्रिया किसान भी अपनाते हैं। इस कारण हर कोई अपने को किसान समझे। फसल की पैदावार बेहतर हो इसके लिए हमें मिट्टी के सूक्ष्म जीवों बचाना होगा।
भारतीय कृषि का बाजार करीब 40 लाख करोड़ रुपए का
डॉ. रामपाल ने भारतीय कृषि की विकास यात्रा, उसकी चुनौतियों और नई संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि भारतीय कृषि का बाजार लगभग 40 लाख करोड़ रुपए का है । यह खाद्यान्न, फसल उत्पादन, डेयरी, मछली पालन, बागवानी और पशुपालन से मिलकर बनता है, लेकिन इसके समक्ष जलवायु परिवर्तन, घटते जल संसाधन और मिट्टी की घटती उर्वरता जैसी चुनौतियां भी हैं।
कृषि केवल अन्न उत्पादन का साधन नहीं बल्कि हमारे अस्तित्व, संस्कृति और पर्यावरण का भी आधार : रंजन
इससे पहले विषय प्रवेश कराते हुए विद्यालय के प्रधानाध्यापक रंजन कुमार ने कहा कि कृषि हमारे जीवन का मूल है। यह केवल अन्न उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व, संस्कृति और पर्यावरण का आधार है। कृषि भारतीय अर्थ व्यवस्था का मुख्य हिस्सा है। यह करोड़ों लोगों के जीवनयापन का मुख्य साधन है बावजूद लोगों के बीच इसे शिक्षाप्रद करियर के रूप में देखे जाने को लेकर उत्सुकता नहीं है।

नई सोच और प्रेरणा का बीज बोने में सफल रहा कार्यक्रम
कार्यक्रम का समापन विद्यालय की वरिष्ठ शिक्षक श्रीमती अनुपमा सिंह ने पूरे कार्यक्रम का शानदार संचालन करते हुए सत्रांत वक्तव्य और धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया। उन्होंने कहा कि आज का संवाद सत्र बच्चों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि यह उन्हें प्रकृति और कृषि के प्रति जागरूक भी करेगा। यह कार्यक्रम बच्चों के मन में नई सोच और प्रेरणा का बीज बोने में सफल रहा है।
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