बेगूसराय। जन संस्कृति मंच , बेगूसराय ने दिनकर कला भवन , बेगूसराय मे प्रसिद्ध रंगकर्मी सफदर हाशमी को उनके शहादत दिवस के मौके पर याद किया। इस अवसर पर जसम बिहार के राज्य सचिव रंगकर्मी – कवि दीपक सिन्हा ने कहा कि आज की तारीख में शहीद सफदर को याद करना मामूली बात नहीं है । रंगकर्मी डरे हैं कि अगर उनकी सफदर हाशमी की तस्वीर के साथ अखबार में या सोशल मीडिया में छप जायेगी तो कल उनका ग्रांट बंद हो जायेगा। उनका रिपेटरी बंद कर दिया जायेगा। बावजूद इसके हम कहना चाहते हैं कि रंगकर्मी मित्रो डरने की जरुरत नही है। आप अगर एक हो कर सही कंटेंट के साथ नाटक करोगे तो कोई फासिस्ट ताकत तुम्हें रंगकर्म करने से रोक नहीं सकती है।
आज भी नाटकों में और कविताओं में जिंदा हैं सफदर
जसम के अध्यक्ष रंगकर्मी विजय कुमार सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव में यह कहा कि जसम या अन्य तमाम संगठन को प्रत्येक वर्ष नुक्कड़ नाटक कर सफदर हाशमी को याद करना चाहिये। बुद्धिजीवी कमल वत्स ने कहा कि विदित हो कि सफदर हाशमी की हत्या तत्कालीन केंद्रीय सरकार के अंदर बैठे फासिस्ट ताकतो के जरिये हल्ला बोल नाटक करने के दरमयान नुक्कड़ पर ही कर दी गई थी लेकिन वो आज भी नाटकों में और कविताओं में जिंदा हैं।
नाटक प्रतिरोध का एक सशक्त माध्यम
जनपक्षीय नेता राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि सफदर की तरह ही प्रतिरोध का नाटक हर गांव, हर सड़क व चौराहे पर करने की जरुरत है। संस्कृतिप्रेमी देवेंद्र कुंवर ने कहा कारवां बनता जायेगा और मुकाम तक हम पहुंच जायेंगे। खेेग्रामस के नेता चंद्रदेव बर्मा ने कहा कि नाटक प्रतिरोध का एक सशक्त माध्यम है। सफदर इसके नायक थे। नाटककार मिथिलेश कांति ने कहा कि सफदर हाशमी ने अपने नाटकों मे जनता की सवालों को रखने का काम किया है। युवा रंगनिर्देशक सचिन ने कहा कि हमे एक बार फिर नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जनता के पास जाना पड़ेगा।
मौके पर ये लोग थे मौजूद
इस अवसर पर वरिष्ठ रंग निर्देशक अरविंद सिन्हा , गोपाल पासवान , शिक्षक राजाराम आर्य, शिक्षाविद संतोष ईश्वर , अधिवक्ता भारत भूषण मिश्रा, अधिवक्ता पंकज कुमारअअ सिन्हा , नीलेश झा तथा रंगकर्मी संजय ने भी अपनी बातो को रखा। धन्यवाद ज्ञापन समाजसेवी बुद्धिजीवी रंजीत ने किया। कार्यक्रम मे सफदर हाशमी लिखित कविताओ का पाठ किया गया तथा रंगनायक के साथियो ने जनगीत पेश किया।
