- सीनियर फेलोशिप में मैथिली संस्मरण साहित्यक विवेचनात्मक अध्ययन पर शोध करेंगे डॉ. सुशांत
- नाट्य विधा में शोध करेंगी डुमरी की खुशबू, मिली जूनियर फेलोशिप
- बिहार से कुल 18 शोधकर्ताओं को दी गई फेलोशिप
- सीनियर को प्रतिमाह 20 हजार और जूनियर को 10 हजार राशि मिलेगी
नई दिल्ली/एजेंसी | भारत सरकार के कल्चरल रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (सीसीआरटी) ने सीनियर और जूनियर फेलोशिप की घोषणा की है। सीसीआरटी के अनुसार, दोनों वर्गों में 200-200 शोधकर्ताओं को चुना गया है। बिहार के कुल 18 लोगों का फेलोशिप दी जा रही है। इनमें 10 सीनियर फेलोशिप और 8 जूनियर फेलोशिप के लिए चयिनत हुए हैं। सुखद पहलू यह कि बेगूसराय से इतिहास के शोधार्थी डॉ. सुशांत कुमार को सीनियर फेलोशिप और डुमरी की रहने वाले खुशबू कुमारी को जूनियर फेलोशिप मिली है। डॉ. सुशांत मैथिली साहित्य और खुशबू कुमारी थिएटर के क्षेत्र में शोध कार्य करेंगी। डॉ. सुशांत के स्वीकृत शोध-अध्ययन का विषय शीर्षक ‘मैथिली संस्मरण साहित्यक विवेचनात्मक अध्ययन’ है। डॉ. सुशांत ने बताया कि फेलोशिप के तहत उनके शोध-अध्ययन का उद्देश्य मैथिली गद्य साहित्य में उपलब्ध संस्मरण पर विशेष रूप से काम करना है। क्योंकि इस संबंध में विषयगत और शैलीगत अध्ययन अभी तक सही तरीके से नहीं हो पाया है।
NSD पासआउट है खुशबू कुमारी
डुमरी में रहने वाली खुशबू कुमारी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (नई दिल्ली) से पासआउट है। खुशबू मूल रूप से बलिया की रहने वाली है। घर की माली हालत होने के बावजूद खुशबू ने थिएटर को अपना कर्मक्षेत्र बनाया है। वह फैक्ट रंगमंडल की सक्रिय सदस्य है।
पटना के रविभूषण बाल भवन किलकारी दरभंगा के प्रमुख हैं
बताते चलें कि पटना के तीन लोगों को थिएटर के क्षेत्र में विशेष कार्य के लिए सीनियर फेलोशिप दी गई है। इनमें रविभूषण भी एक हैं। रविभूषण वर्तमान में बाल भवन किलकारी, दरभंगा के प्रमुख हैं।
जानिए, क्या है सीसीआरटी
सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) एक अग्रणी संस्थान है, जो शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। इसक स्थापना मई, 1979 में श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय तथा डॉ. कपिला वात्स्यायन द्वारा किया गया। यह केन्द्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्यरत है। इस केन्द्र का मुख्य सैद्धान्तिक उद्देश्य बच्चों को सात्विक शिक्षा प्रदान कर उनका भावात्मक व आध्यात्मिक विकास करना है।
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