- मढ़ौरा रेल इंजन कारखाना में अब तक 700 डीजल रेल इंजन बन चुका
- अफ्रीकी सरकार ने मढ़ौरा के डीजल रेल इंजन कंपनी वेबटेक से किया है करार
- जून 2025 से 2028 के बीच अफ्रीका को 4500 हॉर्स पावर वाले 100 इंजन भेजा जाएगा
छपरा | छपरा के मढ़ौरा स्थित रेल इंजन कारखाने में बने डीजल इंजन की सप्लाई अब अफ्रीका में होगी। इसके लिए अफ्रीकी सरकार ने मढ़ौरा के डीजल रेल इंजन कंपनी वेबटेक से 100 इंजनों को खरीदने का करार किया है। पिछले दिनों रेल मंत्री ने अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में जानकारी दी थी कि मढ़ौरा की डीजल रेल इंजन फैक्ट्री में बने इंजनों आपूर्ति अफ्रीका के शिमाण्डू में की जानी है। यह आपूर्ति जून 2025 से 2028 के बीच होनी है।
700वें इंजन को आंध्रप्रदेश भेजा गया : बताते चलें कि यह कंपनी अभी तक 700 रेल इंजन बना चुकी है। मढ़ौरा रेल कारखाने में बने 700वें रेल इंजन को बुधवार (19 मार्च) को रेलवे के सीएओ मनीष कुमार व अन्य अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर आंध्रप्रदेश के पुति के लिए रवाना कर दिया। भारतीय रेल को सौंपे जाने से पहले इस इंजन को पूरी तरह से सजाया गया था। अब तक यहां बने इंजनों को उत्तरप्रदेश के रौजा और गुजरात के गांधीनगर भेजा जा चुका है।
‘ईएस43एसीएमआई’ मॉडल इंजन की होगी सप्लाई : मढ़ौरा कारखाना अफ्रीका को ‘ईएस43एसीएमआई’ मॉडल के इंजन भेजेगा। यह इंजन 4500 एचपी क्षमता वाला है और विशेष रूप से अधिक तापमान वाले क्षेत्रों के लिए बनाया गया है। इसमें ईंधन की खपत कम होती है और यह बेहतरीन प्रदर्शन देता है। यहां बनने वाले इंजन के केबिन में चालक के एसी और यूरिनल की व्यवस्था है जबकि अन्य इंजनों में ऐसी व्यवस्था नहीं रहती है। इंजन में गर्म हवा को रोकने के लिए स्क्रीन लगाई गई है। पहाड़ी इलाकों के लिए यह इंजन बेजोड़ है।
लालू ने किया शिलान्यास, मोदी सरकार में हुआ निर्माण : गौरतलब है कि मढ़ौरा रेल इंजन फैक्ट्री की नींव तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रखी थी, लेकिन उनके कार्यकाल में यह चालू नहीं हो सकी। 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद इस फैक्ट्री का निर्माण पूरा हुआ और 17 सितंबर 2018 से यहां उत्पादन शुरू हुआ।
पीपीपी मोड पर विदेशी निवेश से लगाई गई फैक्ट्री : यह रेल इंजन फैक्ट्री पीपीपी मोड पर 100 प्रतिशत विदेशी निवेश पर लगाई गई है। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद अमेरिकी कंपनी जीई से करार कर फैक्ट्री का निर्माण कराया गया। फैक्ट्री से वर्ष 2018 से उत्पादन शुरू हुआ। करार के तहत फैक्ट्री को दस साल के अंदर यानी 2028 तक भारतीय रेल को 1000 इंजनों की सप्लाई करनी है। वर्ष 2022 में जीई ने इस फैक्ट्री को वेबटेक नामक कंपनी को बेच दिया।
270 एकड़ में फैक्ट्री, 600 इंजीनियर और कर्मचारी कर रहे काम : यह फैक्ट्री करीब 270 एकड़ जमीन पर फैली है। जबकि उत्पादन संयंत्र 70 एकड़ में स्थापित है। जानकारी के अनुसार, कारखाने में करीब 600 कुशल कर्मचारी और इंजीनियर काम कर रहे हैं।
