- आशीर्वाद राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव 26 मार्च को होगा समापन
- दिनकर कला भवन को बनाया जाएगा सुविधा संपन्न : विधायक कुंदन कुमार
बेगूसराय। आशीर्वाद रंगमंडल के तत्वावधान में रविवार को दिनकर कला भवन में 10वां राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन अनिकेत संध्या नाटक का मंचन किया गया। महोत्सव के प्रथम सत्र में समारोह का उद्घाटन बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार, भाजपा नेता कुंदन भारती, रूपेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मौके पर बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार ने कहा कि बेगूसराय का सभी क्षेत्रों में समान रूप से तेजी से विकास हो रहा है। आज के डिजिटल युग में भी नाटक के प्रति लोगों का लगाव यह संदेश देता है कि आज भी लोग अपनी संस्कृति को बचाए रखने में सचेत हैं। उन्होंने कहा कि दिनकर कला भवन में सुविधाओं को बढ़ाने का प्रयास करूंगा। साथ ही मल्टी कल्चरल भवन की योजना के संदर्भ में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मशविरा कर उसे बेगूसराय लाने का काम किया जाएगा ताकि बेगूसराय के कलाकारों को अत्यधिक सुविधा मिल सके। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए फेस्टिवल डायरेक्टर डॉ. अमित रौशन ने विधायक से मांग करते हुए कहा कि दिनकर कला भवन को अत्याधिक सुविधाओं से लैश किया जाय। साथ ही केंद्र सरकार की योजना के अंतर्गत मल्टी कल्चरल भवन का निर्माण कर कलाकारों को सुविधा दी जाय। आशीर्वाद रंगमंडल आगामी दिनों में अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन फिर करने का निर्णय लिया है। कई देशों से आए रंग कलाकारों को समुचित सुविधा तभी मिल पाएगी जब जिले का दिनकर कला भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से लैश होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता ललन प्रसाद सिंह एवं संचालन दीपक कुमार ने किया। इस मौके पर फेस्टिवल डायरेक्टर डॉ. अमित रौशन एवं अध्यक्ष ललन प्रसाद सिंह ने मंचासीन अतिथियों को अंगवस्त्र व मोमेंटो प्रदान कर स्वागत किया। मौके पर वरिष्ठ रंग समीक्षक अजीत राय, संजय महर्षि, प्रदीप बिहारी, अभिजीत कुमार मुन्ना, विश्वंभर सिंह, संजीव फिरोज, अमरेन्द्र कुमार सिंह, वरिष्ठ रंग निर्देशक अवधेश, परवेज यूसूफ, रामानुज राय समेत सैकड़ों दर्शक मौजूद थे।
टूटते परिवार की कहानी है अनिकेत संध्या
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में चंदन सेन के निर्देशन में नाटक अनिकेत संध्या का मंचन पश्चिम बंगाल की हजबराल टीम के कलाकारों के द्वारा किया गया। नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि कोलाहल एक क्रूर अंधी मार में प्राचीन, सदियों पुराने मूल्यों को कुचल रहा है। दुनिया टूट रही है, देश, समाज, परिवार टूट रहा है। मनुष्य सामूहिकता से अलग होना चाहता है, उस मनुष्य को नकारना चाहता है, जो कभी एटलस-स्कंधी का सक्रिय आश्रय था। हमारे समाज का यह अलगाव, संकीर्णता और विखंडन तेजी से हो रहा है। शायद इस दशक या अगले दशक की सबसे बड़ी समस्या परिवार टूटने या बुढ़ापे की उपेक्षा की समस्या होगी। जब इस नाटक के 80 वर्षीय पात्र भीष्मदेव पर अपनी दुनिया में परित्याग का बोझ था, तो उनके बेटे कर्णदेव, जो घाट से गुजर रहे थे, ने डैनियल की दीवार लेखन को सटीक रूप से पढ़ा। प्रियतोष-मालविका जैसी युवा पीढ़ी इस संकट की असहाय दर्शक या मंच के पीछे की कार्यकर्ता है। अपविद्धा पापू की बचकानी आवाज सिर्फ एक विरोध स्वर है क्योकि उसे अभी तक घर की सफाई करने की समझ या उम्र नहीं मिली है। अस्ती व बुजुर्ग व्यक्ति भीष्म देव के साथ कहानी सामने आती है, जिसे कमजोरी के कारण वृद्धाश्रम में जाना पड़ता है. जो बुजुर्गों को बोझ समझने की सामाजिक प्रवृत्ति को उजागर करता है। उनका बेटा कार्यदि उभरती चुनौतियों को पहचानते हुए सामाजिक मानकों के अनुसार अपनी आमव अनुपयोगिता का अनुमान लगाता है। यह पारिवारिक संबंधों के प्रति नई प्रतिबद्धता के साथ बदलती दुनिया की जटिलताओं से निपटने के लिए अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।
इन कलाकारों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
नाटक में भीष्मदेव की भूमिका में सुभाष मैत्र, कर्णदेव की भूमिका में प्रवीर दत्त, कालिदास की भूमिका में पार्थ चौधरी, अर्जुन की भूमिका में गोपाल सरकार, प्रियतोष की भूमिका में तपन विश्वास, मालविका की भूमिका में शुचिस्मिता सिंह, पापू की भूमिका में अनुपम दास और रिनी की भूमिका में विदिशा सेन ने जीवंत अभिनय किया। नाटक के लिए मंच सज्जा एवं प्रकाश व्यवस्था जॉय सेन, स्टेज प्रोडक्शन अरुण रॉय, आभा, वासुदेव दास एवं मेकअप दुलाल संतरा ने किया।
26 मार्च को होगा फेस्टिवल का समापन
फेस्टिवल डायरेक्टर डॉ. अमित रौशन ने बताया कि सोमवार को कांट मैथिली नाटक का मंचन होगा। वहीं 26 मार्च को नाट्य महोत्सव का समापन होगा। बेगूसराय के दर्शकों की भीड़ रोज ब रोज बढ़ रही है।
