कन्हैया कुमार, साझी राजनीति (UPA/INDIA) के वैसे फलदार बीज हैं जिसे पौधा बनने से पहले ही पेड़ बनाया जा रहा है। ठेठ भाषा में कहें तो मूंछ-दाढ़ी आई नहीं और उस्तरा चलाने लगे। पौधा तैयार होने से पहले ही पेड़ बनाने का काम पहले CPI ने किया और अब उसी लकीर को बड़ा करने की कोशिश में Congress जुटी है। कन्हैया कम्युनिस्ट पार्टी को टाटा, बाय-बाय कहने के बाद कांग्रेस के ‘हाथ’ को मजबूत कर रहे हैं। पार्टी ने भी उन्हें भरपूर सम्मान दिया। कन्हैया फिलहाल NSUI का राष्ट्रीय प्रभारी का दायित्व संभाल रहे हैं। कन्हैया इन दिनों ‘पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा’ को लेकर चर्चा में हैं। उनकी यह पदयात्रा बिहार में पिछले 25 दिनों से जारी है। कन्हैया की इस पदयात्रा से कांग्रेस को बिहार में कितना राजनीतिक लाभ मिलेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन सोमवार को बेगूसराय में निकाली गई पदयात्रा में जिस तरह से कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी शामिल हुए और निर्धारित समय से पूर्व ही पटना के लिए उड़ान भर ली, यह चर्चा का विषय रहा। लब्बोलुआब यह कि कन्हैया की यह पदयात्रा कम और पीपीटी (P-Power, P-Passion, T-Tashan) प्रजेंटेशन ज्यादा था। चलिए, अब आपको विस्तार से समझाते हैं पीपीटी प्रजेंटेशन।
कन्हैया बिहार की जिस माटी (लेनिनग्राद वाला क्षेत्र बीहट) से आते हैं वहां की आबोहवा का मुख्य घटक राजनीति है। 2016 में कथित तौर पर जेएनयू में देश विरोधी नारे ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ लगाने के बाद ही कन्हैया के लिए राष्ट्रीय फलक पर राजनीति का दरवाजा खुला। सीपीआइ को इस व्यक्ति में खुद के लिए ‘संजीवनी’ दिखी तो दोनों बांह फैलाकर गले लगाया। कन्हैया इतना पावरफुल हो गए कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय संसदीय सीट से उम्मीदवार बना दिया। प्रचार के लिए भांति-भांति के लोग आयातित हुए, मगर उन्होंने स्थानीय नेतृत्व को बिल्कुल दरकिनार कर दिया, परिणामस्वरूप कन्हैया बुरी तरह हार गए। दिल्ली लौटने के कुछ समय बाद कन्हैया पार्टी को ‘लाल सलाम’ कह गए।
कांग्रेस में शामिल हुए तो यहां भी राहुल-प्रियंका की गुड फेथ वाली टीम में। राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा में कन्हैया की भागीदारी से लगा था कि पार्टी उन्हें मुख्य धारा में लाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कन्हैया थोड़े नाराज दिखे तो उन्हें वर्किंग कमेटी में रखने के साथ ही NSUI का राष्ट्रीय प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने भी सीपीआइ वाली गलती की। कन्हैया को उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से टिकट दे दिया। कन्हैया यहां भी मनोज तिवारी से हार गए। अब 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होना है तो कन्हैया को कांग्रेस के लिए जमीन तैयार करने के कार्य में राहुल के संदेशवाहक के रूप में युवाओं को आकर्षित करने की जिम्मेदारी देते हुए 16 मार्च को चंपारण के भितिहरवा से “पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा” का प्रारंभ करवाया गया। कन्हैया ने 23वें दिन की पदयात्रा में बेगूसराय में राहुल गांधी को शामिल करा नेताओं (प्रदेश/स्थानीय) को अपने POWER का अहसास कराया।
कन्हैया अपने राजनीतिक करियर को लेकर पैशनेट (उत्साही/जुनूनी) हैं। हालांकि वे जुनूनी से ज्यादा महत्वाकांक्षी लगते हैं। अगर वे महत्वाकांक्षी नहीं हैं तो फिर 2019 में लोकसभा चुनाव क्यों लड़ा? वह भी अपने गृह क्षेत्र से, जहां कई ऐसे दावेदार थे जिनका अनुभव कन्हैया की उम्र के बराबर का था। अगर वे महत्वाकांक्षी नहीं केवल जुनूनी हैं तो फिर 2024 में दिल्ली से लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ा? खुद पर इतना ही भरोसा था तो पार्टी से बेगूसराय सीट मांग लेते? ऐसा होने से अपनी राजनीतिक हैसियत भी पता चल जाती।अब चर्चा है कि वे विधानसभा चुनाव में बेगूसराय सीट से लड़ सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो POWER फैक्टर ही काम करेगा। क्योंकि कांग्रेस नेत्री और पूर्व विधायक अमिता भूषण भी राहुल गांधी की टीम का हिस्सा हैं। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उनका लोगों के बीच जनसंपर्क लगातार चलता रहा है। पदयात्रा में अमिता भूषण, कन्हैया के साथ कदमताल करती तो दिखीं, लेकिन राहुल गांधी के संग नजर नहीं आईं। पार्टी के कार्यकर्ता इसकी समीक्षा अपनी तरह से कर रहे हैं।

कन्हैया में टशन भी काफी है। वे अपने आगे किसी को नहीं समझते। पदयात्रा के दृश्य को देखेंगे या समझेंगे तो आपको यह खुद पता चल जाएगा। राहुल गांधी ने अपने एक्स हैंडल पर भी लोगों से पदयात्रा में शामिल होने की अपील की थी। कहा था कि व्हाइट टी शर्ट में आएं, लेकिन कन्हैया की टीम ने ब्लैक (काला) टी शर्ट पहन रखी थी। कन्हैया को चाहने वाले कहते हैं कि यह उनका टशन है। लेकिन बहुतेरे ऐसे हैं जो मानते हैं कि कन्हैया ऐसा कर लोगों में संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें जो अच्छा लगता है वही करते हैं। उनका ऐसा ही रवैया कम्युनिस्ट पार्टी में भी रहा था। पदयात्रा में राहुल गांधी वाले घेरे में राष्ट्रीय स्तरीय नेताओं के अलावा स्थानीय स्तर के शिव प्रकाश गरीब दास (बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष) और कांग्रेस जिलाध्यक्ष सार्जन सिंह ही मुख्य थे। अगर सबको साथ लेकर चलते तो कुछ और महत्वपूर्ण लोग शामिल होते।


पलायन कैसे रोकेंगे जब पदयात्रा में स्थानीय भागीदारी ही नहीं
कन्हैया पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा चला रहे हैं। लेकिन पलायन रोकने के लिए पहले खुद में तैयारी करनी चाहिए थी। रोडमैप बनाना चाहिए था। पदयात्रा में बेगूसराय जिले के कितने ऐसे युवक शामिल थे जिन्हें सेना में नौकरी के लिए ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिला? राहुल गांधी ने पदयात्रा के दौरान जिस युवक से बात की वह भी दूसरे जिले का था। जिस महिला या युवती से बात की वे दोनों भी िदल्ली/पटना की हैं। जब पदयात्रा में भीड़ जुटाने के लिए पदयात्री दूसरे जिले से आयातित हैं तो फिर पलायन की बात बेमानी है। यहां होमवर्क/ग्राउंड वर्क कमजोर दिखा।

पदयात्रा राजनीतिक नहीं तो फिर राहुल गांधी क्यों आए?
NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी और NSUI के प्रदेश अध्यक्ष शिव प्रकाश गरीब दास ने कहा था कि यह राजनीतिक नहीं बल्कि मुद्दों की पदयात्रा है। सवाल उठता है कि इसमें राहुल गांधी क्या करने आए? अगर आए तो फिर स्थानीय लोगों को संबोिधत क्यों नहीं किया? पब्लिक से मिले क्यों नहीं? राहुल अगर खुली जीप या फिर फूल बरसा रही जेसीबी पर ही बैठकर लोगों को सार्वजनिक रूप से चेहरा दिखा देते/संबोधित कर देते तो आने का औचित्य समझ में आता।
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1 thought on “पलायन रोको नौकरी दो पदयात्रा : कन्हैया का PPT प्रजेंटेशन”
Kanhaiya ke agwai mein palayan roko aur Naukri doh padyatra spasta taur per Congress ko rajnitik roop se punarsthapit karney ka prayas hey tabhi toh iska agaj Champaran ke bhitarhawa se kiya gaya he. Yeh alekh bahut he sarahney aur shandar hey. Ismey Kanhaiya ke lokpriyata ko dhyan mein rakhkar sthaniyeta ko dhyan mein rakhtey huey esey PPT ke madhyam sei logon ko samjhaney ke kosis ke gaye hey Jo ke prasansniye hey. Rahul Gandhi ko chunauti ko awsar mein badalney ka gur sikhna pareyga . Purey abhiyan ke dauran palayan rokney ke upay per Rahul ka kuch na kahna es abhiyan ko kund karta hey. Dusrey zila se jansamuh ko jutana Bihar ke rajniti mein naya kuch bhi nahi hey. Sabsey adhik palayan dusrey rajyon mein sramikon ka hota hey . Iskey baad gunwata yukt siksha ke liye dusrey rajyon ya phir barey sahron ke ore rukh karna student ke beech bari samsya hey.