बेगूसराय (बीहट) | कलात्मक ढंग से कही गई कहानियां जादू सा असर करती हैं। ये आत्म-सशक्तीकरण, नेतृत्व और सामाजिक परिवर्तन की दिशा में पहला कदम होती हैं। टीवी या फिल्मों में हम जो ऐतिहासिक कहानियां देखते-सुनते हैं उसका असर काफी समय तक रहता है। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो घटना किन कारणों से हुई या कब हुई या उसके पात्र कौन-कौन थे, हमें वर्षों तक याद रहता है। ऐसा इस कारण कि किताब में लिखी इन घटनाओं को हमारे सामने कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया होता है। ये बातें एटीई वर्ल्ड टॉक के संस्थापक और सीईओ डॉ. आयुष केसरी ने ‘वीकेंड विजन’ कार्यक्रम के ग्रीष्मकालीन सत्र (सीजन-2) की शुरुआत के मौके पर मध्य विद्यालय बीहट के बच्चों से संवाद के दौरान कही।
समाज में बदलाव की वाहक होती हैं कहानियां : अनुपमा
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ स्नातक शिक्षक अनुपमा सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि कहानी कहने से छात्रों में सहानुभूति, समस्याओं की समझ और उद्यमी सोच का विकास होता है। डॉ. केसरी ने संवाद में यह भी बताया कि यह यात्रा केवल कहानियां सुनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों को यह सिखाने का माध्यम भी है कि कैसे वे अपनी कहानियों से समाज में बदलाव ला सकते हैं।
600 बच्चों ने अपनी सहभागिता दी
कार्यक्रम प्रबंधन में शिक्षक पूनम कुमारी, प्रीति कुमारी, सोनम कुमारी, तथा बाल संसद, हाउस लीडर्स और कक्षा 8 के स्वयंसेवी छात्र दल ने सराहनीय भूमिका निभाई। मौके पर विद्यालय के अन्य शिक्षक एवं सभी वर्गों से तकरीबन 600 बच्चे उपस्थित थे।


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बच्चों में रचनात्मक गतिविधियां बनी रहनी चाहिए. रंजन जी को इस पहल के लिए शुभकामनाएं.