नई दिल्ली/एजेंसी | आयकर विभाग ने असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 के लिए ITR फॉर्म को नोटिफाई कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए विभाग ने ITR-1 से लेकर ITR-7 फाॅर्म तक में कई बदलाव किए हैं। करदाताओं को इन फॉर्म में 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की कमाई दिखानी होगी। ITR-1 से लेकर ITR-7 फाॅर्म अलग-अलग करदाताओं के लिए बनाए गए हैं। ITR भरने से पहले आपको यह जान लेना बहुत ही जरूरी है कि फॉर्म में क्या-क्या और किस तरह के बदलाव किए गए हैं।
ITR-1: लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स हुआ शामिल
इस फॉर्म में बड़ा बदलाव यह हुआ है कि इसमें लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) को शामिल किया गया है। आप LTCG जो सेक्शन 112A के तहत हैं, यानी लिस्टेड शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख रुपए तक के गेन्स को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं। पहले इसके लिए ITR-2 भरना पड़ता था। इस बदलाव से छोटे निवेशकों को राहत मिलेगी। इसके अलावा एक और अहम बदलाव किया गया है। इसक तहत आपको सभी एक्टिव बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स देनी होंगी, सिवाय डोरमेंट अकाउंट्स के।
ITR-2 : कैपिटल गेन्स को अलग-अलग दिखाना होगा
ITR-2 में अब आपको कैपिटल गेन्स को अलग-अलग दिखाना होगा। 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की ट्रांजेक्शन्स के लिए। क्योंकि बजट 2024 में प्रॉपर्टी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 20% (इंडेक्सेशन के साथ) से घटाकर 12.5% (बिना इंडेक्सेशन) कर दिया गया है। दूसरा बदलाव यह कि शेयर बायबैक पर होने वाले लॉस को अब कैपिटल गेन्स सेक्शन में और बायबैक से मिलने वाली रकम को डिविडेंड के तौर पर ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ में दिखाना होगा। इसके अलावा अगर आपकी कुल कमाई 1 करोड़ रुपए से ज्यादा है तो आपको शेड्यूल AL में अपनी एसेट्स और लायबिलिटीज की डिटेल्स देनी होंगी। पहले इसकी लिमिट 50 लाख रुपए थी।
ITR-3: पार्टनरशिप फर्म को ज्यादा डिटेल्टस देनी होगी
विभाग ने ITR-3 के फॉर्म में भी कुछ बदलाव किए हैं। इसके तहत शेड्यूल AL की थ्रेशोल्ड को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया गया है। मतलब अगर आपकी कमाई 1 करोड़ से कम है तो संपत्ति और देनदारियों की विस्तृत जानकारी नहीं देनी होंगी। इसके अलावा कैपिटल गेन्स को 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद में बांटकर दिखाना होगा। सबसे जरूरी कि अगर आप पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर हैं तो आपको ज्यादा डिटेल्स देनी होंगी, जैसे कि फर्म की प्रॉफिट-लॉस डिटेल्स। फाॅर्म में सेक्शन 80C, 80D जैसे डिडक्शन्स के लिए ड्रॉपडाउन मेन्यू जोड़ा गया है।
ITR-4: इस फाॅर्म में सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि आप 1.25 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (सेक्शन 112A) को इसमें दिखा सकते हैं। शर्त यह कि आपके पास कोई कैपिटल लॉस न हो। इसके अलावा सेक्शन 44AD (व्यवसाय के लिए) का टर्नओवर लिमिट 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है। इसके लिए भी शर्त यह कि 95% ट्रांजेक्शन डिजिटल हों। प्रोफेशनल्स के लिए सेक्शन 44ADA का लिमिट 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख रुपए किया गया है।
ITR-5: इस फॉर्म में भी कैपिटल गेन्स की अलग-अलग जानकारी (23 जुलाई 2024 से पहले और बाद) देनी होगी। अगर आपकी इनकम 1 करोड़ से ज्यादा है तो शेड्यूल AL में एसेट्स और लायबिलिटीज की जानकारी देनी होगी।
ITR-6: इस फाॅर्म में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन नए टैक्स नियमों को ध्यान में रखते हुए डिस्क्लोजर्स को और सख्त किया गया है।
ITR-7: इस फॉर्म में शेयर बायबैक लॉस और डिविडेंड इनकम को अलग-अलग दिखाने का नियम जोड़ा गया है। इसके अलावा अगर ट्रस्ट के पास विदेशी रिटायरमेंट अकाउंट्स हैं, तो सेक्शन 89A के तहत उनकी डिटेल्स देनी होंगी।
