- सितंबर माह में ही जदयू को छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन किया था
- 2020 के विधानसभा चुनाव में NDA के खिलाफ लड़ा था चुनाव
- अब भाजपा प्रत्याशी कुंदन कुमार के समर्थन में करेंगे प्रचार
- अब तक यह स्पष्ट नहीं कि भाजपा में शामिल हुए या फिर अन्य घटक दल में
बेगूसराय | चौबे चले छब्बे बनने, दूबे बनकर आए... वाली कहावत जदयू को छोड़ एक महीने कांग्रेस में शामिल हुए राजेश मुखिया पर सटीक बैठ रही। राजेश मुखिया शुक्रवार को अपने समर्थक शाहपुर के मुखिया महेश राय के साथ एनडीए में शामिल हो गए। स्थानीय एक होटल में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कुंदन कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव वर्मा ने एनडीए में शामिल कराया। हालांकि यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि राजेश मुखिया ने भाजपा को ज्वाइन किया है या फिर निष्कासन का समय समाप्त होने के बाद जदयू में शामिल होंगे या NDA के किसी अन्य घटक दल में। हालांकि इस संबंध में अब तक NDA के किसी भी दल ने यह नहीं बताया वे किस पार्टी में शामिल हुए हैं। बात दें कि newsvistabih.com ने पहले ही इस बात की आशंका जताई थी कि राजेश मुखिया कांग्रेस में कितने दिन टिकेंगे?
कांग्रेस में क्यों शामिल होने की वजह
प्रेस कांफ्रेंस में राजेश मुखिया ने कहा कि पटना से कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा था कि बेगूसराय से कांग्रेस इस बार पिछड़ा समाज को टिकट देगी। आप कांग्रेस में शामिल हो जाइए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश नेतृत्व के कहने पर समर्थकों के साथ पार्टी ज्वाइन किया था, लेकिन पार्टी ने जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी की बात करके धोखा दिया। पिछड़ा समाज को टिकट नहीं दिया। अब मैं जहां था वहां आ गया हूं। भाजपा प्रत्याशी कुंदन कुमार के लिए प्रचार करूंगा।
निर्दलीय लड़े तो जदयू ने छह साल के लिए निकाला था
वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान राजेश मुखिया जदयू के सदस्य थे। सीट शेयरिंग के तहत बेगूसराय सीट भाजपा के खाते में थी। भाजपा ने कुंदन कुमार को प्रत्याशी बनाया था। राजेश मुखिया पार्टी लाइन से हटकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए। इस कारण जदयू ने राजेश मुखिया को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया। हालांकि इस चुनाव में 18 हजार मतों के साथ राजेश तीसरे स्थान पर रहे थे।
सवाल : क्या पिछड़े समाज का वोट भाजपा को दिला पाएंगे?
राजेश मुखिया के जदयू को छोड़ कांग्रेस में शामिल होने और विधायक का टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस को छोड़ एनडीए में शामिल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा होने लगी है कि क्या राजेश अपने पिछड़े समाज का वोट भाजपा को दिला पाएंगे? सवाल इसलिए कि जिस समाज का प्रतिनिधित्व राजेश जदयू में रह कर करना चाहते थे वह नहीं मिला तो NDA के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ लिया। इस साल भी सीट भाजपा के खाते में जाते देख जदयू को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए थे। कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो अब चुनाव के एन वक्त पर एनडीए में शामिल हो गए। पिछड़े समाज का एक वर्ग उनके इस कदम से आहत दिख रहा है।
समाज बोला – NDA में ही आना था तो फिर कांग्रेस ज्वाइन क्यों किया
पिछड़े समाज के कुछ लोगों का कहना है कि राजेश को थोड़ा इंतजार कर अभी कांग्रेस का हाथ मजबूत करना चाहिए था। उन्हें एनडीए में नहीं आना चाहिए था। क्योंकि इसकी कम ही गुंजाइश है कि 2030 के विधानसभा चुनाव में भाजपा पिछड़े समाज को प्रतिनिधित्व दे। अगर एनडीए में शामिल होना ही था तो फिर जदयू को छोड़ कांग्रेस क्यों ज्वाइन किया? खुद भी भटक रहे और समाज को भी भटका रहे।
गिरिराज बोले- नीतीश कुमार के संदेश पर मैंने ही को-ऑर्डिनेट किया
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि कुछ दिन पहले राजेश मुखिया कांग्रेस में शामिल हो गए थे। राजेश वर्षों से नीतीश कुमार के साथ रहे हैं। नीतीश कुमार के संदेश पर मैंने ही को-ऑर्डिनेट कर उन्हें एनडीए में शामिल कराया। लोकसभा चुनाव में इन लोगों ने समर्थन दिया था। विधानसभा चुनाव में भी समर्थन मिलेगा।
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