बेगूसराय | कैकेई अब तक राम को वनवास भेजने वाली स्वार्थी रानी के रूप में देखी जाती रही है, लेकिन प्रसन्न सोनी निर्देशित नाटक में ‘कैकेई’ का नया स्वरूप देखने को मिला। नाटक में निर्देशक एक नए नजरिए के साथ कैकई के चरित्र को लोगों को देखने और सोचने पर विवश करने में सफल होते हैं। नाटक में कैकेई के चरित्र की व्याख्या की गई। इसमें उन्हें एक वीर, त्याग करने वाली महिला के रूप में दिखाया गया है जिसने देवताओं के कार्य (रावण वध) के लिए यह भूमिका निभाई। भगवान राम के ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ बनने की नींव रखी। कैकेई का जीवन महत्वाकांक्षा, पश्चाताप और जटिल परिस्थितियों के कारण लिए गए निर्णयों का एक मिश्रण है। बताते चलें कि राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के दूसरे दिन शनिवार को रंग दूत (सीधी, मध्य प्रदेश) ने ‘कैकेई’ नाटक का मंचन किया।

दर्शकों की अनुभूति
‘द प्लेयर्स एक्ट’ की ओर से संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से दिनकर कला भवन, बेगूसराय में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव रंग उत्सव में ‘कैकेई’ नाटक देखते हुए दर्शकों ने अनुभव किया कि कैकेई केवल दोषी नहीं थी, बल्कि वह भी परिस्थितियों की शिकार और अपने वंश की रक्षा के लिए बलिदान देने वाली नारी थी। कलाकारों ने नट्यानुकुल मंच सज्जा, वस्त्र विन्यास, सधे संवाद, कर्णप्रिय संगीत और जीवंत अभिनय से दशकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शक भावनाओं के भंवर में डूबते उतराते रहे।

ऐसे उत्सव हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करते हैं
अतिथियों ने कहा कि इस तरह के उत्सव हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने और एक-दूसरे से कुछ नया सीखने के साथ ही कला साहित्य और रंगमंच प्रेमियों के लिए एक शानदार अवसर है। कार्यक्रम का मंच संचालन युवा कवि और अभिनेता दीपक कुमार ने किया। नाट्य मंचन के उपरांत नाटक के निर्देशक प्रसन्न सोनी को उपमहापौर अनीता राय, कला एवं संस्कृति पदाधिकारी श्याम कुमार साहनी और समाजसेवी विश्वरंजन कुमार सिंह राजू के द्वारा अंगवस्त्र, पुष्प गुच्छ और प्रतिक चिन्ह से सम्मानित किया गया।

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