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रिवाइवल ने किया एक कप चाय नाटक का मंचन

बेगूसराय। नाटक “एक कप चाय” का मंचन रिवाइवल नाट्य संस्था के द्वारा शनिवार की शाम विकास विद्यालय, डुमरी के मां तारा सभागार में किया गया। राजकिशोर सिंह की कविता का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन कुमार अभिजीत ने किया। मौके पर  कार्यक्रम का उद्घाटन लेखक, चिंतक, विचारक व  पूर्व डीन इन्द्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी  दिल्ली डॉ. चंद्रकांत प्रसाद सिंह, डॉ धीरज शांडिल्य, डॉ रंजन चौधरी, डॉ मुकेश कुमार, विश्वरंजन कुमार सिंह, अनिल जी (विभाग प्रचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), राजकिशोर सिंह (मुख्य संरक्षक रिवाइवल), संजय कुमार सिंह ( बाईट कंप्यूटर), मुकेश कुमार बीपीएसए, महामंत्री, सुरेंद्र जी बीपीएसए ने किया। सचिव रजनी कुमारी एवं राजकिशोर सिंह ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र देकर किया। अतिथियों ने सम्मिलित रूप से दीप प्रज्ज्वलित  कर कार्यक्रम का आगाज किया। रिवाइवल संस्था ने रिवाइवल लेखकीय सम्मान-2024 से राजकिशोर सिंह को अंगवस्त्र व प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया।

सांस्कृतिक मूल्यों के मूल्यांकन का सबसे सटीक माध्यम है नाटक 

मुख्य अतिथि डॉ चंद्रकांत प्रसाद सिंह ने कहा जब मनुष्य कबीलाई जीवन की शुरुआत किया था, उससे पहले ही भरत मुनि नाट्य शास्त्र की रचना कर चुके थे। नाटक जीवन का बिम्ब है, जीने का तरीका है। समाज की चारपाई है। नाटक समाज में सांस्कृतिक मूल्यों के मूल्यांकन का सबसे सटीक माध्यम है।

सामाजिक यथार्थ से रूबरू कराता है नाटक एक कप चाय

नाटक “एक कप चाय” लेखक राजकिशोर सिंह की सामाजिक अनुभूति है, जो वास्तविकता को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ती है। नाटक गांव, खेत, खलिहान, किसान की धरातलीय विविधता को ओढ़ते हुए एक समाज को नई अनुभूति नया चिंतन, धर्म, दर्शन, नीति, सुख:दुख को ईमानदारी के साथ बड़े ही सरल और कोमल शब्दों में कहती चली जाती है। नाटक लगातार कवि के दर्द को बुनता हुआ आगे बढ़ता है। नाटक में कवि एक साथ पूरे सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक चेतना को जी लेना चाहता है। इसलिए बार-बार सवाल खड़ा करता है। कभी खुद से कभी समाज से तो कभी सरकार से नाटक की हर पंक्ति में कवि खुद खड़ा है जो मौन रहकर पीड़ित होने से बेहतर विरोध के स्वर बुलंद करने की वकालत करता है। नाटक सत्य बोध और जीवन दर्शन का सापेक्ष विश्लेषण करता है। नाटक आस्था, अनास्था, आशा, निराशा, प्यार, घृणा, संघर्ष, चिंतन, ज्ञात, अज्ञात हर मनोदशा को सामाजिक हालात और दृष्टिकोण की कसौटी पर कसते हुए अपने उत्कर्ष बिंदु पर पहुंचने  की छटपटाहट लिए हुए है। कवि किसी वाद में खुद को न बांधकर एक विचार खड़ा करना चाहता है।

कलाकारों ने अपने अभिनय से लोगों का मन मोहा

नाटक का सह निर्देशन रजनी कुमारी, वस्त्र विन्यास अमृता देवी, म्यूजिक राजेश कुमार, साउंड चंदन कुमार, प्रवीण कुमार पोद्दार ने किया। नाटक में वैभव, दीपक, अंकित कुमार, अविनाश, लक्ष्य राज, रचित राज, रजनीश कुमार, आदर्श कुमार, प्रतीक कुमार, अनिकेत सुलभ, मिहिर मानस ने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। सभी ने अपने शानदार अभिनय से खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम का संचालन कवि व अभिनेता दीपक कुमार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्था के मुख्य संरक्षक राजकिशोर सिंह ने किया।

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Author: newsvistabih

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