- स्पिक मैके की ओर से भारद्वाज गुरुकुल में शास्त्रीय संगीत का आयोजन
- संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित कलापिनी कोमलकी ने दी प्रस्तुति

बेगूसराय | संगीत पर तो हर कोई झूमता है, गुनगुनाता है, लेकिन जब यही संगीत मनमाफिक हो तो हृदय तल बारिश की फुहारों से भीगा जैसा हो जाता है। कुछ ऐसा ही दृश्य गुरुवार को पनहास स्थित भारद्वाज गुरुकुल में देखने को मिला। यहां स्पिक मैके की ओर से शास्त्रीय संगीत का आयोजन किया गया था। ग्वालियर घराने की शास्त्रीय गायिका विदुषी कलापिनी कोमकली ने अपनी प्रस्तुति दी जबकि तबले पर उनका साथ शंभूनाथ भट्टाचार्य ने दिया। हारमोनियम पर दीपक खसरावल थे।
कार्यक्रम से पहले स्कूल के बच्चों ने सभी कलाकारों को चंदन रोली लगाकर एवं आरती कर स्वागत किया। मंच पर इनके पांव पखारे गए। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह में गाए जाने वाले राग भैरवी से हुई। गायिका कलापिनी कोमकली ने भगवान शिव को समर्पित गीत जागो रघुनंदन गाया तो ऑडिटोरियम में मौजूद सभी बच्चे और उपस्थित अतिथि मंत्रमुग्ध हो गए। बाबा गोरखनाथ जी के भजन की प्रस्तुति के दौरान बच्चों ने कलापिनी कोमकली का साथ ताली बजाकर दिया। कार्यक्रम का अंत कबीर रचित भजन ‘राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे। अंजन उत्पति ॐकार, अंजन मांगे सब विस्तार। अंजन ब्रह्मा शंकर इन्द्र, अंजन गोपिसंगी गोविन्द रे। राम निरंजन न्यारा रे…’ से हुआ। कबीर भजन पर बच्चों ने जो करतल ध्वनि दी उससे पूरा ऑडिटोरियम गूंजायमान रहा।
अंगवस्त्र और दिनकर की रचनाओं से किया सम्मानित

ट्रस्ट के चेयरमैन जवाहर लाल भारद्वाज, स्कूल के निदेशक शिव प्रकाश भारद्वाज, अमृता भारद्वाज, संगीतप्रेमी सीए राहुल कुमार, प्रगति कुमारी, प्रो. एसके पांडे, सदानंद मिश्रा, दामिनी मिश्रा, मुकेश प्रियदर्शी, बिंदु कुमारी, सरोज कुमार, अमरेश कुमार शिशिर, संजीव कुमार, रौशन कुमार, मुरारी अग्रवाल आदि ने सभी कलाकारों का सम्मान मिथिला परंपरा के अनुसार किया। कलाकारों को अंग वस्त्र के साथ ही रामधारी सिंह दिनकर की रचनाएं भेंट की गईं। स्कूल के बच्चों ने भी खुद से बनाए उपहार भेंट किए।
जानिए, शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली को
कलापिनी कोमकली मध्य प्रदेश के देवास की निवासी हैं। संगीत की शिक्षा घर से ही मिली। माता और पिता दोनों शास्त्रीय गायन के प्रख्यात कलाकार रहे हैं। कलापिनी कोमकली संगीत मनीषी पद्म भूषण पंडित कुमार गंधर्व की पुत्री हैं। उनकी मां पद्म श्री वसुंधरा कोमकली भी विख्यात शास्त्रीय गायिका थीं। ग्वालियर घराना से जुड़ा पूरा परिवार ही शास्त्रीय संगीत का विश्व धरोहर है। कलापिनी कोमकली संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कृत हैं।

2 thoughts on “स्पिक मैके : शिव भक्ति को समर्पित गीत पर मुग्ध हुए तो कबीर भजन पर करतल ध्वनि से गूंजा ऑडिटोरियम”
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बेगूसराय की छवि देश में कुछ बदनाम सी बना दी गई है.यहॉं की मिट्टी को कड़ा माना जाता है.ऐसे में शास्त्रीय गायिकी के शिखर पुरुष कुमार गंधर्व की सुपुत्री कलापिनी कोमलकी को इस धरती पर सुनना पूर्व स्थापित मान्यता को झुठलाता है.इसी तरह बीहट में पहले सीता विवाह के अवसर संगीत के विविध विद्याओं ठुमरी,दादरा,कजरी से लेकर ध्रुपद-धमार भी बेगूसराय सुनते-सुनाता रहा है.
बेगूसराय गेहूॅं,गुलाब,लोहा का अद्भुत संगम है.