- दो वरिष्ठ डीपीओ के होते हुए पीओ खुशबू कुमारी को डीपीओ स्थापना का प्रभार कैसे दिया गया
- आखिर तीन महीने तक पीओ खुशबू कुमारी अपने मूल पद पर क्यों नहीं लौंटी
- पिछले तीन माह से किस संभाग के प्रभार में थीं खुशबू कुमारी, इस बाबत कोई आदेश नहीं
बेगूसराय | शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) रविंद्र साह की जगह उनसे कनीय कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) खुशबू कुमारी को बनाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विभाग में फिलहाल दो डीपीओ हैं और दोनों खुशबू कुमारी से वरिष्ठ हैं। ऐसे में पिछले दो दिनों से यह मामला शिक्षा जगत में चर्चा का विषय का बना है। वहीं छात्र संगठन अखिल विद्यार्थी परिषद के प्रदेश कार्यकारी परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य अजीत चौधरी ने इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) राजदेव राम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।
जब इस मामले की पड़ताल की गई तो पता चला कि डीईओ कार्यालय ने खुशबू कुमारी को बिपार्ड (गया) में प्रशिक्षण के लिए 12 फरवरी 2024 को विरमित किया था। उस समय पीओ खुशबू कुमारी प्राधिकृत जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (माध्यमिक शिक्षा एवं साक्षरता) थीं। उनके पास बेगूसराय प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार था। तीन माह की ट्रेनिंग से लौटने और स्थानीय स्तर पर ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें मूल पद पर योगदान देना था, लेकिन पिछले तीन माह से खुशबू कुमारी न तो अपने मूल पद पर लौटीं और न ही कार्यालय से यह आदेश निकाला गया कि उन्हें कौन सा प्रभार दिया जा रहा है। इस बाबत जब डीईओ राजदेव से पूछा गया तो झल्लाते हुए कहा कि वो फील्ड ट्रेनिंग में थीं। लेकिन सच्चाई यह कि खुशबू कुमारी की फील्ड ट्रेनिंग 12 सितंबर 2024 को ही समाप्त हो चुकी है। इसके बाद फील्ड ट्रेनिंग से संबंधित कोई विभागीय आदेश नहीं निकाला गया।
खुशबू कुमारी की फील्ड ट्रेनिंग के लिए जारी आदेश पत्र
विरमन के लिए जारी आदेश पत्र
DocScanner 14-Dec-2024 4-29 pm (1)
जिला शिक्षा पदाधिकारी से सवाल-दर-सवाल
विभागीय प्रावधानों के अनुसार शिक्षा विभाग में स्थापना शाखा के लिए सबसे सीनियर/वरिष्ठ डीपीओ को कार्य निष्पादन की जिम्मेदारी दी जाती है। हालिया मामले में ये एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हो रहा है कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति आ गई कि शिक्षा विभाग बेगूसराय में स्थापना शाखा की जिम्मेदारी निभा रहे डीपीओ रविंद्र साह के विरुद्ध क्या अपना कार्य सही से न करने/शिथिलता बरतने जैसी प्राप्त/दृष्टिगत प्रामाणिक शिकायतों को लेकर बिना किसी आधिकारिक समीक्षा व निर्णय के या फिर विभाग के मुख्यालय स्तर से बिना कोई निदेश/अनुमति मिले उन्हें पद से हटाया गया। सवाल यह भी कि कहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी, स्थानीय तौर पर अपने मनोनुकूल कार्यालयी व्यवस्था के लिए जिला पदाधिकारी के भरोसे का नाजायज फायदा उठाते हुए अथवा उन्हें अंधेरे में रखते हुए या फिर उन्हें भी मेल में लेकर उनसे अनुमोदन प्राप्त करके विभागीय प्रावधानों के विरुद्ध, महज पीओ के पद पर हालिया नियुक्त अत्यंत कनिष्ठ और अत्यल्प अनुभव वाले पदाधिकारी को स्थापना शाखा जैसे महत्वपूर्ण प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी सौंपी है।
तत्कालीन प्रधान सचिव के आदेश का उल्लंघन
शिक्षा विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव आरके महाजन ने 30 अप्रैल 2014 को एक आदेश जारी किया था। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि जिले में स्थापना, सर्व शिक्षा अभियान तथा लेखा एवं योजना का प्रभार वरीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को आवंटित किया जाए, साथ ही एक बार कार्य आवंटित करने के पश्चात सामान्य परिस्थिति में इसे दो वर्ष के पहले नहीं परिवर्तित किया जाए तथा विशेष परिस्थिति में संबंधित क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक के अनुमोदन से प्रभार बदला जाए। लेकिन इस मामले में इस आदेश का सरासर उल्लंघन किया गया है।
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