जसम ने प्रेमचंद को किया याद, कहानी पाठ से कार्यक्रम की शुरूआत की
बेगूसराय। बेगूसराय में रविवार को जनसंस्कृति मंच के तत्वावधान में जसम के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर प्रेमचंद जयंती समारोह सप्ताह 25-31 जुलाई,2024 तक के लिये कमलेश्वरी भवन भाकपा माले जिला कार्यालय बेगूसराय में कार्यक्रम का शुभारंभ कथाकार प्रेमचंद की कहानी “पूस की रात“ के पाठ से हुआ। कहानी का सस्वर पाठ वरीय रंगकर्मी सदन कुमार ने किया। इस अवसर पर संगोष्ठी के लिए निर्धारित विषय-“प्रेमचंद की विरासत और आज का समय“ विषय पर जसम बिहार के राज्य सचिव सह राष्ट्रीय कार्यकारिणी रंगकर्मी-कवि दीपक सिन्हा ने कहा कि ब्राह्मणवादी-पूंजीवादी सत्ता संस्कृति तथा मौजूदा बर्बर फासिस्ट दौर में प्रेमचंद को याद करना और प्रेमचंद के साहित्य को आम-आवाम तक पहुंचना हमारे लिए आवश्यक है। रंगकर्मी और साहित्यकारों को आज के फासिस्ट ताकत से मुकाबला करना ही होगा .पूंजीवादी-सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए प्रेमचंद का साहित्य हमारा हथियार है। वरिष्ठ साहित्यकार सह रंगकर्मी कुंवर कन्हैया ने कहा कि प्रेमचंद उर्दू-हिन्दी के पहले कथाकार हैं जिन्होंने शोषित-पीड़ित-वंचित आम-आवाम को अपने साहित्य का नायक बनाया और उसकी वास्तविक मुक्ति का साहित्य रचा।
साम्प्रदायिक ताकतों से मुठभेड़ करती है प्रेमचंद की रचनाएं : गुंजेश
युवा साहित्यकार गुंजेश गुंजन ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियों को स्कूल मे सिर्फ पाठ कर टास्क पूरा करने से काम नहीं चलेगा। प्रेमचंद की रचनाएं साम्प्रदायिक ताकतां से मुठभेड़ करती है। वरिष्ठ रंगकर्मी सह गीतकार देवेंद्र कुंवर ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने उपन्यास और कहानियों में कृषक जीवन की त्रासदी का चित्रण किया है। किसान नेता ललित यादव ने कहा कि प्रेमचंद हमारी साझी जनवादी सांस्कृतिक विरासत के पहले कथाकार हैं।
पूंजीवाद और फासीवादी-साम्राज्यवाद के शिकार हो रहे सैकड़ों किसान : भगवान प्रसाद सिन्हा
विमर्श के उपसंहार मे प्रसिद्ध शिक्षाविद् भगवान प्रसाद सिन्हा ने रंगभूमि को याद करते हुए कहा कि पूंजीवाद और साम्राज्यवाद के जिस खेल का शिकार रंगभूमि का नायक सूरदास हुआ, कुछ इसी तरह का खेल आज भी जारी है। आज सैकड़ों किसान पूंजीवाद और फासीवादी-साम्राज्यवाद के शिकार हो रहे हैं। जनता सबक देगी। इस कार्यक्रम में माले जिला सचिव सह राज्य कमिटी सदस्य दिवाकर कुमार ,माले नेता चंद्रदेव वर्मा, माले नगर सचिव राजेश श्रीवास्तव की उपस्थिति रही। वरिष्ठ रंगकर्मी विजयकृष्ण, रंगकर्मी चंद्रभूषण, अधिवक्ता भारत भूषण मिश्रा, वरिष्ठ रंगकर्मी पंकज कुमार सिन्हा, वरिष्ठ अधिवक्ता कैलाश महतो, नाटककार मिथिलेश कांति तथा कई रंगकर्मी बुद्धिजीवियों ने अपनी बातो को रखा। कार्यक्रम की अध्यक्षता जसम बिहार राज्य उपाध्यक्ष वरिष्ठ रंगकर्मी विजय सिन्हा ने करते हुए कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं को ले कर नाटक व छोटी-छोटी फिल्म बनाने की जरुरत है।
