Search
Close this search box.
Search
Close this search box.

Download App from

सुप्रीम फैसला : एससी-एसटी काेटे के अंदर कोटा को कोर्ट ने दी मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए SC/ST आरक्षण में जाति आधारित कोटे को मंजूरी दे दी। यह आदेश ईवी चिन्नैया के फैसले को पलटते हुए दिया।
  • 7 जजों की बेंच ने 6-1 से सुनाया फैसला
  • 2004 में जस्टिस चिन्नैया के दिए फैसले का पलटा
  • कोर्ट ने कहा- आर्टिकल 341 को समझने की जरूरत
  • कोर्ट ने कहा- समानता के खिलाफ नहीं है कोटे में कोटा

एजेंसी | सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए SC/ST आरक्षण में जाति आधारित कोटे को मंजूरी दे दी। कोर्ट ने कहा कि अब राज्य सरकार पिछड़े लोगों में भी अधिक जरूरतमंदों को फायदा देने के लिए सब कैटेगरी बना सकती है। शीर्ष कोर्ट ने यह आदेश ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश के फैसले को पलटते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि कोटे में कोटा समानता के खिलाफ नहीं है। सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया।

100 फीसद आरक्षण की मंजूरी नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि राज्यों के पास आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण करने की शक्तियां हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि उप-वर्गीकरण की अनुमति देते समय राज्य किसी उप-श्रेणी के लिए 100 फीसद आरक्षण निर्धारित नहीं कर सकता।

पढ़िए, सीजेआइ ने क्या कहा

सीजेआइ ने कहा कि सबसे निचले स्तर पर भी वर्ग के लोगों के साथ संघर्ष उनके प्रतिनिधित्व के साथ खत्म नहीं होता है। जस्टिस चिन्नैया के 2004 के फैसले को खारिज किया जाता है कि अनुसूचित वर्गों का उप-वर्गीकरण अस्वीकार्य है।

जस्टिस गवई बोले-संपन्न लोगों को आरक्षण से बाहर करने का फैसला संसद करे

जस्टिस गवई ने अपने फैसले में कहा कि जब एक शख्स आइएएस-आइपीएस बन जाता है तो उसके बच्चे गांवों में रहने वाले उसके समुदाय की तरह असुविधाओं का सामना नहीं करते, फिर भी उसके परिवार को पीढ़ियों तक आरक्षण का लाभ मिलता रहेगा। अब ये संसद को तय करना है कि संपन्न लोगों को आरक्षण से बाहर करना चाहिए या नहीं।

जस्टिस बेला त्रिवेदी की राय अलग रही

जस्टिस बेला त्रिवेदी की राय अन्य 6 जजों से अलग रही। उन्होंने फैसले में लिखा कि मैं बहुमत के फैसले से अलग राय रखती हूं। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं जिस तरीके से तीन जजों की बेंच ने इस मामले को बड़ी बेंच को भेजा था। तीन जजों की पीठ ने बिना कोई कारण बताए ऐसा किया था।

8 फरवरी को कोर्ट ने कहा था- सबसे पिछड़ों को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरों को बाहर नहीं किया जा सकता
8 फरवरी को सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि बहुत सारे पिछड़े वर्ग हैं और राज्य केवल दो को ही चुनता है। ऐसे में जिन्हें बाहर रखा गया है वे हमेशा अनुच्छेद 14 के तहत अपने वर्गीकरण को चुनौती दे सकते हैं कि हम पिछड़ेपन के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं। बेंच ने कहा- सबसे पिछड़ों को लाभ देते समय राज्य सरकारें दूसरों को बाहर नहीं कर सकतीं। वरना यह तुष्टिकरण की एक खतरनाक प्रवृत्ति बन जाएगी।

कोर्ट ने पूछा था- क्या आइएएस-आइपीएस अफसरों के बच्चों को कोटा मिलना चाहिए
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने दलील दी कि पिछड़े वर्गों में सबसे पिछड़े समुदायों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए साधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इस पर बेंच ने सवाल किया कि पिछड़ी जातियों में मौजूद संपन्न उपजातियों को आरक्षण की सूची से क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए। क्या IAS-IPS अफसरों के बच्चों को कोटा मिलना चाहिए? जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि इन्हें आरक्षण सूची से क्यों नहीं निकाला जाना चाहिए?

newsvistabih
Author: newsvistabih

Leave a Comment

Share this post:

खबरें और भी हैं...

लाइव क्रिकट स्कोर

  • HUF Registration Services In India
  • Digital marketing for news publishers

कोरोना अपडेट

Weather Data Source: wetter in Indien morgen

राशिफल

error: Content is protected !!