- वायरस का नया स्ट्रेन (Clad-1) ज्यादा संक्रामक और इससे मृत्यु दर भी ज्यादा
- मंकीपॉक्स के पब्लिक इमरजेंसी घोषित होने के 15 दिन में भारत ने जांच के लिए किट बनाया
- जांच किट को पुणे के ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने क्लीनिकल मान्यता दी
एजेंसी | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। इसके 15 दिनों बाद ही भारत ने संक्रमण की जांच के लिए RT-PCR किट बना लिया। इसे सीमेंस हेल्थीनीयर्स ने बनाया है। कंपनी का दावा है कि इस किट से 40 मिनट में परिणाम आ जाएगा। किट को पुणे के ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने क्लीनिकल मान्यता दे दी है। सेंट्रल प्रोटेक्शन ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने इसे बनाने की मंजूरी दे दी है।
सीमेंस हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर हरिहरन सुब्रमण्यन ने बताया कि इस किट की मदद से मंकीपॉक्स का पता लगाने में लगने वाला समय कम होगा। यह किट सिर्फ 40 मिनट में रिजल्ट देगी। यह 1-2 घंटे में रिजल्ट देने वाले पारंपरिक तरीकों के मुकाबले कहीं तेज है।
वडोदरा में एक साल में 10 लाख किट बनाने की क्षमता
हरिहरन सुब्रमण्यन ने बताया है कि RT-PCR किट वडोदरा स्थित कंपनी की मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में बनाई जाएगी। इस यूनिट की एक साल में 10 लाख किट बनाने की क्षमता है।
1958 में बंदरों में मिला था पॉक्स
पहली बार मंकीपॉक्स 1958 में खोजा गया था। तब डेनमार्क में रिसर्च के लिए रखे दो बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के लक्षण सामने आए थे। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में कॉन्गों में 9 साल के बच्चे में पाया गया। यह बीमारी इंसानों से इंसानों में भी फैल सकती है। इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं। इसमें शरीर में फफोले या छाले पड़ जाते हैं। ये छोटे दानेदार या बड़े भी होते हैं। ये धीरे-धीरे सूखकर ठीक होते हैं। इस दौरान बुखार, जकड़न और असहनीय दर्द होता है।
2022 में भारत में फैल चुका है Mpox
अफ्रीका से चला मंकीपॉक्स का वायरस पड़ोसी देश पाकिस्तान पहुंच चुका है। फिलहाल पाकिस्तान में मंकीपॉक्स के तीन मामले सामने आए हैं। तीनों मामले इंटरनेशनल फ्लाइट से उतरने वाले लोगों में मिले हैं। ये नहीं पता चल पाया कि तीनों में कौन सा वैरिएंट है।
