बेगूसराय (बीहट)। 11 दिवसीय दिनकर जयंती समारोह के सातवें दिन शुक्रवार को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 116वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति सिमरिया एवं दिनकर पुस्तकालय के संयुक्त तत्वावधान में मध्य विद्यालय सिमरिया में आयोजित जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व प्रधानाचार्य राधारमण राय एवं संचालन विद्यालय के शिक्षक अमर कुमार ने किया। अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर एवं दिनकर के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में स्कूल के बच्चों ने दिनकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। इन बच्चों में आरुषि कुमारी, प्राची, प्रियांशु, रमण, दिव्या, पल्लवी, आर्यन, नयन आदि ने दिनकर की कविताओं का सस्वर पाठ किया। वहीं विद्यालय की छात्रा साक्षी, पल्लवी और कल्पना से स्वागत गान प्रस्तुत किया।
दिनकर की रचनाओं में इतिहास, भूगोल और साहित्य : अशांत भोला
मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि अशांत भोला ने कहा कि जिस तरह से दिनकर को सिमरिया के लोग याद करते हैं वैसा हिन्दी पट्टी के किसी साहित्यकार को उनके गांव में शायद ही याद किया जाता है। दिनकर ने साधनों के अभाव में जो उपलब्धि हासिल की वह अनुकरणीय है। दिनकर गांव की पगडंडी से लेकर महानगर तक से प्रेरणा लेकर लिखते रहे। दिनकर की रचनाओं में इतिहास, भूगोल और साहित्य है। उन्होंने कहा कि दिनकर ऐसे कवि थे जो एक साथ समय, समाज और सच को लिखते रहे।

जातिवाद के प्रबल विरोधी कवि थे दिनकर : अनिल पतंग
वरिष्ठ रंगकर्मी अनिल पतंग ने कहा कि दिनकर ने रश्मिरथी में कर्ण के माध्यम से जातिवाद का विरोध किया। दिनकर जातिवाद के प्रबल विरोधी कवि थे। दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने कहा कि दिनकर स्मृति विकास समिति बच्चों के विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य कर रही है। बच्चे दिनकर से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ने का प्रयास करें। सेवानिवृत्त शिक्षक ब्रह्मदेव जी ने कहा कि दिनकर की ख्याति कभी नहीं मिटने वाली है। समारोह को समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा, ए. के. मनीष समेत कई गणमान्य लोगों ने संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन समिति के सदस्य लक्ष्मणदेव कुमार ने किया।
मौके पर ये लोग थे मौजूद
मौके पर रामानुज राय, गुंंजन कुमारी, नितिका कुमारी, रामनाथ सिंह, प्रवीण प्रियदर्शी, जितेन्द्र झा, संजीव फिरोज समेत स्कूल के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
