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EDUCATION : बिना अधिकार प्रधानाध्यापक कैसे करें विद्यालयों में सुधार

सरकारी स्कूलों में कंपोजिट ग्रांट की राशि खर्च नहीं करने की बात पर नया विवाद शुरू हो गया है। प्रधानाध्यापकों ने इसमें सारा ठीकरा विभाग पर फोड़ा है।

बेगूसराय | सरकारी विद्यालयों में विभिन्न कार्यों के लिए सरकार कंपोजिट ग्रांट राशि देती है। कंपोजिट ग्रांट राशि वह होती है जिससे विद्यालयों में चॉक, डस्टर, स्टेशनरी की खरीदारी, विद्यालय का रंग-रोगन आदि कार्य स्थानीय स्तर पर प्रधानाध्यापक खर्च करते हैं। यह कंपोजिट ग्रांट राशि विद्यालयों को छात्र के अनुपात में मिलती है। डीईओ राजदेव राम के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जिले के 1650 स्कूलों को कंपोजिट ग्रांट के तहत 11 करोड़ 87 लाख 91 हजार की राशि दी गई थी। इसमें से साढ़े छह करोड़ की राशि अब भी खाते में पड़ी है। 269 स्कूल ऐसे हैं जो छदाम भी खर्च नहीं कर पाए। अब सवाल उठता है कि प्रधानाध्यापकों ने कंपोजिट ग्रांट की राशि क्यों खर्च नहीं की? क्या कोई उन्हें काम करवाने से रोकता है? इस संबंध में प्राथमिक शिक्षक साझा मंच के समन्वय समिति के सदस्य रंजन कुमार ने बताया कि शिक्षा विभाग ने नीति ही ऐसी बना रखी है कि चाह कर भी समय पर राशि खर्च नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्यालय स्तर के कार्यों से संबंधित योजना बनाने, निर्णय लेने और वित्तीय प्रबंधन का अधिकार प्रधानाध्यापकों को नहीं दिया गया है। सभी प्रक्रियाएं राज्य मुख्यालय स्तर पर केंद्रीकृत हो चुकी हैं। विद्यालय स्तर पर कोई भी कार्य प्रखंड या जिला अधिकारियों के निर्देश और स्वीकृति के बिना संभव नहीं है।


गुणवत्ता से समझौता करने का रहता है दबाव
समन्वय समिति के सदस्य धनंजय कुमार ने बताया कि विलंब से राशि मिलने के बाद अगर कोई सामान खरीदा जाए तो जल्दबाजी में गुणवत्ता से समझौता करने का दबाव रहता है। अधिकारियों के दबाव में आनन-फानन में की गई खरीदारी सामग्री की गुणवत्ता को प्रभावित करती है। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय संसाधनों की बर्बादी का कारण बनता है। वहीं पीएफएमएस प्रणाली के अंतर्गत विद्यालय के खाते से अव्यवहृत राशि को विभाग द्वारा वापस खींच लिया जाता है। इससे विद्यालय स्तर पर बड़े कार्यों के लिए बचत करना असंभव हो गया है।


विवाद के कारण भी राशि का उपयोग नहीं हो पाता
समन्वय समिति के सदस्य जय प्रकाश ज्योति ने कहा कि कई विद्यालयों में शिक्षा समिति के सदस्यों और प्रधानाध्यापकों के बीच विवाद से भी कार्य को अवरुद्ध करती है। इस कारण राशि का उपयोग नहीं हो पाता है। प्रशासनिक जटिलताओं के कारण भी काम बाधित होता है।

कैसे मिलती है कंपोजिट ग्रांट की राशि
विद्यार्थी संख्या      राशि
30 से 100            25 हाजर
100 से 250          50 हजार
250 से 1000        75 हजार
1000 से अधिक     1 लाख

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हिमांशु शेखर

17 वर्षों से पत्रकारिता का सफर जारी। प्रिंट मीडिया में दैनिक भास्कर (लुधियाना), अमर उजाला (जम्मू-कश्मीर), राजस्थान पत्रिका (जयपुर), दैनिक जागरण (पानीपत-हिसार) और दैनिक भास्कर (पटना) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में कार्य करने के बाद पिछले एक साल से newsvistabih.com के साथ डिजिटल पत्रकारिता।
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