- लंबी बीमारी के कारण हुआ देहांत, शुक्रवार रात ली अंतिम सांस
- सिमरिया में गंगा किनारे हुआ अंतिम संस्कार
बेगूसराय (बरौनी) | जनपद के हिन्दी और मैथिली के मूर्धन्य साहित्यकार डॉक्टर कीर्ति नारायण मिश्र (87) का देहांत शुक्रवार की रात शोकहारा स्थित निवास पर हुआ। शनिवार को उनके पुत्र ने सिमरिया के गंगा तट पर उनको मुखाग्नि दी। बताते चलें कि मैथिली काव्य संग्रह ‘ध्वस्त होइत शांति स्तूप’ के लिए उन्हें वर्ष 1997 में मैथिली का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाले वे जिले के दूसरे साहित्यकार थे। उनसे पहले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को हिन्दी साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। कीर्ति नारायण मिश्र के निधन की खबर मिलते ही जनपद के साहित्य जगत में शोक छा गया। डॉ. कीर्ति नारायण मिश्र के निधन पर अशांत भोला, प्रदीप बिहारी, डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह, विनीताभ, अग्निशेखर, डॉ. रामनरेश पंडित रमण, प्रो. अमरेश शांडिल्य, रमा मौसम, शेखर सावंत, प्रफुल्ल चंद्र मिश्र, डॉ. सीताराम सिंह प्रभंजन, नरेंद्र कुमार सिंह, प्रवीण प्रियदर्शी, संजीव फिरोज, राजेन्द्र राजन, स्वाति गोदर, राम कुमार, सुरेश चौहान, पंकज पांडेय, रूपम झा, एस मनोज, दीपक सिन्हा, प्रगतिशील साहित्यकार चन्द्र भूषण त्रिवेदी, शोकहरा के पूर्व मुखिया घनश्याम मिश्र, बाबू साहेब मिश्र सहित कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त किया।

इन सम्मानों से सम्मानित हो चुके डॉ. मिश्र : डॉ. मिश्र दिनकर जनपदीय सम्मान, मैन ऑफ द ईयर, साहित्य अकादमी अवार्ड, सहस्त्राब्दी सम्मान, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा सौहार्द सम्मान के साथ कई सम्मानों से भी सम्मानित हो चुके हैं।

अपने समय के जनवाद पसंद साहित्यजीवी थे डॉ. मिश्र : विनीताभ
जनवादी लेखक संघ, जिला इकाई ने मैथिली और हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार कीर्ति नारायण मिश्र के निधन पर शोक व्यक्त किया। जनवादी लेखक संघ बिहार के राज्य सचिव कुमार विनीताभ ने कहा कि कीर्ति नारायण मिश्र अपने समय के जनवाद पसंद साहित्यजीवी थे। दिनकर जनपदीय सम्मान सहित कई पुरस्कार प्राप्त करने वाले श्री मिश्र की पांच पुस्तकों का उड़िया, बांग्ला और तेलुगु भाषा में अनुवाद किया जा चुका है। वहीं जनवादी लेखक संघ जिला इकाई के संरक्षक दीनानाथ सुमित्र, अध्यक्ष राजेन्द्र साह, सचिव राजेश कुमार, उपाध्यक्ष अभिनंदन झा, डॉ. चन्द्रशेखर चौरसिया, प्रभा कुमारी, अनुपमा सिंह, डॉ. निरंजन कुमार, सीमा संगसार, रंजन कुमार, कला कौशल, डॉ. अभिषेक कुंदन, प्रो. जिक्रुल्लाह खान, पूर्व अध्यक्ष भगवान सिंह ने कहा कि उनके निधन से बेगूसराय साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है।
