नई दिल्ली/एजेंसी | वक्फ संशोधन विधेयक के संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इसे मंजूरी दे दी है। इस नए कानून को कांग्रेस, एआइएमआइएम और आम आदमी पार्टी (AAP) ने सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग चुनौती दी है। देश के अलग-अलग राज्यों में कई मुस्लिम संगठन इसके विरोध में प्रदर्शन भी कर रहे हैं। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा में इस पर लंबी बहस हुई। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही ओर से इसके समर्थन और विरोध में तर्क पेश किए गए। केंद्र सरकार के अनुसार यह कानून मु्स्लिम विरोधी नहीं और इसका उद्देश्य पक्षपात, वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना है।
कानून बनने के छह महीने के भीतर प्रकाशित करना होगा : एक बार नियम बन जाने के बाद, उन्हें कानून बनने के छह महीने के भीतर प्रकाशित करना होगा। कुछ मामलों में समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है। कुछ नियमों के लिए सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता होती है, जिसमें फीडबैक के लिए कम से कम 30 दिन का समय दिया जाता है। यदि इस प्रक्रिया के दौरान कई सुझाव आते हैं तो प्रकाशन की समय सीमा छह महीने तक बढ़ सकती है। जिन नियमों के लिए सार्वजनिक परामर्श की आवश्यकता नहीं है उनके लिए समय सीमा विधेयक के अधिनियमित होने से छह महीने है।
दोनों सदनों में हुई वोटिंग : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून पर अपनी चिंता जताने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से तत्काल मुलाकात का समय भी मांगा था। लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े थे। वहीं, राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े थे।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी आंदोलन की चेतावनी : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने शनिवार को इस बिल के विरोध में देशव्यापी आंदोलन करने की चेतावनी दी है। एआईएमपीएलबी दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, विजयवाड़ा, मलप्पुरम, पटना, रांची, मलेरकोटला और लखनऊ में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेगी।
